सिविल सेवा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर (Vision IAS) के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे है। इन वीडियो में एक महिला शिक्षक छात्रों को ‘भक्ति आंदोलन’ का पाठ पढ़ा रही है, और कथित तौर पर छात्रों के बीच यह प्रचारित करने की कोशिश कर रही है, कि किस प्रकार इस्लामिक सहिष्णुता के चलते भारत में भक्ति आंदोलन आरंभ हुआ। महिला के अधिकतर वीडियो में हिन्दू धर्म की आस्थाओं पर कटाक्ष करते हुए इस्लाम को बेहतर बताया गया है।
So tutors at @Vision_IAS are specialist now in what #Bhakti is and how #Liberal Islam was.
Exhibit: 786 pic.twitter.com/6ksk34ADFl
— Wokeflix (@wokeflix_) February 27, 2022
विजन आईएएस कोचिंग संस्थान के वायरल वीडियो में छात्रों को पढ़ाने वाली महिला टीचर का नाम स्मृति शाह बताया जा रहा है। महिला टीचर पहले सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी करती थी, लेकिन उनका चयन सिविल सेवा नहीं हुआ, इसलिए महिला टीचर भारतीय समाज के बारे में कोचिंग करने वाले छात्रों को पढ़ाती है। हिंदू विरोधी और कथित वामपंथी विचारधारा की शिकार महिला टीचर ने अधिकतर वीडियो में भक्ति आंदोलन, समाज और संयुक्त परिवार के नाम पर टिप्पणी करते हुए द्रौपदी एवं अन्य भ्रामक उदाहरणों के जरिये हिन्दू धर्म को ही निशाना बनाया है।
Parenting bhi seekh lo.
Kids didn’t ask parents to give birth. pic.twitter.com/Ot3BiWlnwI
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
कोचिंग सेंटर में पढ़ाने वाली टीचर ने वायरल वीडियो में भारतीय अभिभावकों और उनकी मान्यताओं का भी उपहास उड़ाया है। वहीं एक अन्य वीडियो में हिंदू धर्म के त्योहारों का भी मजाक बनाते हुए दीपावली पर परिचितों को उपहार देने के कल्चर को गलत बताया है। इसके साथ ही एक और वीडियो में फ़ासिस्टवाद (फासिज्म) पर बात करते हुए मजहब विशेष राजनीतिक पार्टी के नेता ओवैसी को विद्वान बताते हुए ओवैसी और शशि थरूर के भाषणों को सुनने की अपील की गई है।
वायरल वीडियो में महिला टीचर का सुनियोजित प्रयास इस्लाम को सहिष्णु और विशेष मानसिकता के तहत उसे सबसे अच्छा मजहब बताने पर तुली हुई है। वीडियो में महिला टीचर छात्रों से सवाल पूछती है, कि बताओ भक्ति आंदोलन का उद्देश्य क्या था? इसके बाद बच्चे कुछ बोलते उससे पहले महिला टीचर छात्रों से कहती है, कि इस्लाम बहुत लिबरल और समानता के बारे में बात करता था। उस दौरान कोई जाति व्यवस्था भी नहीं थी। भारत में पहली मस्जिद 7वीं-8वीं शताब्दी में बनी, तब इस्लाम आया नहीं था। उस समय वह उदारवाद, समानता के बारे किसी भी तरह की कठोरता और जातिवाद से मुक्त थे।
महिला टीचर इस्लाम की खासियत बताते हुए कहती है, कि वह ईश्वर (अल्लाह) के प्रति पूरे समर्पण को लेकर बात करते थे। वे एक ईश्वर के कॉन्सेप्ट पर बात कर रहे थे। महिला टीचर कहती है, कि इस्लाम का कहना था, कि अगर एक ही अल्लाह है। उसी ने सबको बनाया है। यही कारण है, कि इस्लाम की ओर लोग आकर्षित होने लगे। जो लोग निम्न वर्ग से आते थे, वो भी अपना जीवन स्तर बढ़ाने के लिए इस्लाम में आने लगे। महिला टीचर ने भक्ति आंदोलन पर ज्ञान देते हुए यह जातने का प्रयास किया, कि इस्लाम जैसा ही हिंदू धर्म है। ज्यादा फर्क नहीं है।
महिला टीचर के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगो दो प्रमुख बिन्दुओ पर सवाल पूछ रहे है, कि आखिर प्राचीन हिंदू धर्म को इतना स्तरहीन प्रस्तुत करने का प्रयास बुद्धिजीवियों द्वारा क्यों किया जा रहा है? और इस्लाम को महिमामंडित करके छात्रों का ब्रेनवॉश इस स्तर तक कैसे किया सकता है। सोशल मीडिया पर लोग कटाक्ष कर रहे है, आक्रमणकारी गजनवी और बाबर ना केवल सेकुलर लोग थे, बल्कि सहिष्णु भी थे, और उन्होंने भारतीयों को सेकुलरिज्म का ज्ञान दिया और भारत में चल रहे भक्ति आंदोलन से निजात दिलाई।
एजेंडाधारी और वामपंथी विचारधारा से प्रदूषित महिला टीचर के वीडियो पर उठे विवाद के बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले Vision IAS कोचिंग सेंटर ने अपनी महिला टीचर के व्यख्यान पर स्पष्टीकरण देते हुए लोगों को बताया है, कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है, वो वीडियो अब उनके किसी भी आधिकारिक प्लेटफॉर्म पर मौजूद नहीं है।
वहीं कोचिंग सेंटर विजन आईएएस ने दावा करते हुए कहा, कि उनका मकसद किसी की भावनाएँ आहत करना नहीं था। हालाँकि लोगो ने कोचिंग सेंटर पर छात्रों को फर्जी इतिहास पढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा, कि जब चौथी सदी में बौद्ध धर्म आया और छठवीं सदी में जैन धर्म का उदय हुआ, तो फिर भक्ति आंदोलन के पीछे इस्लाम को कारण कैसे बताया जा रहा है।