दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी28) के 28वें सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में वैश्विक नेता प्रतिभाग कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 28) के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2028 में होने वाले COP33 की मेजबानी भारत में करने का प्रस्ताव रखा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में जलवायु परिवर्तन को गंभीर समस्या बताया। उन्होंने कहा, कि कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसद की कमी लाने का संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा, “भारत जलवायु परिवर्तन प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क के प्रति प्रतिबद्ध है। भारत ने G20 की अध्यक्षता में ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ की भावना के साथ पर्यावरण के विषय को निरंतर महत्व दिया है। सस्टेनेबल भविष्य के लिए हमने मिलकर ग्रीन डेवेलपमेंट पैक्ट पर सहमति बनाई है।”
#WATCH | Dubai, UAE | At the Opening of the COP28 high-level segment for HoS/HoG, PM Narendra Modi says, "India is committed to UN Framework for Climate Change process. That is why, from this stage, I propose to host COP33 Summit in India in 2028." pic.twitter.com/4wfNBn7r3L
— ANI (@ANI) December 1, 2023
पीएम मोदी ने कहा, “हमने सतत विकास के लिए जीवनशैली के सिद्धांत बनाए, हमने वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा को 3 फीसदी करने पर प्रतिबद्धता जताई है। भारत ने दुनिया के सामने इकोलॉजी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है।” प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में सबकी भागीदारी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, कि आज भारत ने इकोलॉजी और अर्थव्यवस्था के उत्तम संतुलन का उदाहरण विश्व के सामने रखा है। भारत में विश्व की 17 फीसदी आबादी होने के बावजूद ग्लोबल कार्बन एमिशन में हमारी हिस्सेदारी 4 प्रतिशत से भी कम है। पीएम मोदी ने कहा, कि भारत 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन का शेयर बढ़ा कर 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। उन्होंने कहा, कि हम 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य की ओर भी बढ़ते रहेंगे।
हमारा लक्ष्य 2030 तक Emission intensity को 45 प्रतिशत घटाना है।
हमने तय किया है कि non fossil fuel का शेयर हम बढ़ा कर 50 प्रतिशत करेंगे और 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य की ओर भी बढ़ते रहेंगे।
– पीएम @narendramodi
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— BJP (@BJP4India) December 1, 2023
बता दें, कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 1992 में पहले संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते के बाद से प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य सरकारों द्वारा वैश्विक तापमान वृद्धि को सीमित करने और जलवायु परिवर्तन से जुड़े प्रभावों के अनुकूल नीतियों पर सहमत होने के लिए किया जाता है। वर्तमान COP28 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन को 1.5 सेल्सियस वार्मिंग तक सीमित करने के पेरिस समझौते के लक्ष्य की दिशा में देशों की प्रगति का पहला औपचारिक मूल्यांकन होगा।