उत्तराखंड में एक और भर्ती घोटाले का बीते सोमवार को खुलासा हो गया। वर्ष 2015-16 की दारोगा सीधी भर्ती में अनियमितता की जांच कर रही विजिलेंस की प्राथमिक रिपोर्ट के आधार पर 20 दारोगा को सस्पेंड कर दिया गया है। आठ वर्ष पूर्व हुई दारोगा भर्ती घोटाले का मामला तब चर्चा में आया, जब पिछले वर्ष यूकेएसएसएससी द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में नकल और लेनदेन का खुलासा हुआ था।
वर्ष 2015-16 में कांग्रेस शासनकाल में हुई दारोगा भर्ती में नक़ल माफिया ने मोटी रकम लेकर परीक्षा की ओएमआर शीट में छेड़छाड़ कर दी थी। परीक्षा के दौरान नकल माफियाओं ने ना केवल नकल करवाई बल्कि ओएमआर शीट में भी खेल कर दिया था। जांच के दौरान विजिलेंस टीम को ओएमआर शीट में गोल घेरों पर कई स्थानों पर वाइटनर के सफेद निशान मिले है।
दारोगा भर्ती प्रकरण में नकल माफियाओं के हाथ कितने लंबे थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि भर्ती परीक्षा से संबंधित जो ओएमआर शीट थी, उन्हें विजिलेंस की जांच शुरू होने से पहले ही नष्ट कर दिया गया था, हालांकि विजिलेंस ने ओएमआर शीट की कॉपी को पहले सुरक्षित कर दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्व विद्यालय की ओर से विजिलेंस को ओएमआर शीट की कापी दी गई थी, जिसके आधार पर विजिलेंस की ओर से जांच आगे बढ़ाई गई। हालांकि विजिलेंस की टीम इससे पहले ही काफी सबूत जुटा चुकी थी। विजिलेंस की टीम ने पिछले वर्ष अक्टूबर में मुकदमा दर्ज करने के बाद सभी अभ्यर्थियों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी, जिन पर एजेंसी को संदेह था।
भर्ती घोटाले की जांच के दौरान विजिलेंस की टीमों ने संदिग्ध दरोगाओं के जन्मस्थान से लेकर उनके शैक्षणिक संस्थानों तक का पूरा ब्योरा जुटाया। इसके साथ ही दरोगा भर्ती से पहले संदिग्ध दरोगा व उसके परिजनों के बैंक अकाउंट में कितनी रकम थी और भर्ती के बाद खातों में कितनी राशि शेष थी, इसकी जानकारी भी एकत्रित की गई।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, भर्ती पर उठे सवालों के बाद पुलिस विभाग की ओर से जब चयनित दारोगा की गोपनीय जाँच करवाई गई, तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई, कि 15 फीसदी दरोगा ऐसे है, जो केस डायरी तक लिखना नहीं जानते थे। ज्यादातर दारोगा अपने साथियों ओर जूनियरों को प्रलोभन देकर केस डायरी लिखवाते थे। कई दारोगा ने तो अपने साथ सेवानिवृत दारोगा को रख रखा था, ताकि बड़े मुक़दमे के वक्त उनकी सहायता ली जा सके।