देवभूमि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। बैठक में तय किया गया, कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का ड्राफ्ट तैयार करने को एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी को सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित किया जायेगा। बात दें, विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने इसे लागू करने का वादा किया था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा चुने जाने के बाद सीएम धामी ने यह ऐतिहासिक घोषणा की है। इस संबंध में गुरुवार(24 मार्च) को सीएम धामी ने अपने ट्विटर सन्देश में कहा, “आज सरकार गठन के पश्चात प्रथम कैबिनेट बैठक में हमने चुनाव के समय किए गए वादे के अनुरूप राज्य में अतिशीघ्र “यूनिफॉर्म सिविल कोड” लागू करने के ध्येय के साथ उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है।”
आज सरकार गठन के पश्चात प्रथम कैबिनेट बैठक में हमने चुनाव के समय किए गए वादे के अनुरूप राज्य में अतिशीघ्र "यूनिफॉर्म सिविल कोड" लागू करने के ध्येय के साथ उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है। pic.twitter.com/Zmgd2Cfkr4
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) March 24, 2022
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि हमने चुनाव से पहले कहा था, कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे। उत्तराखंड राज्य दो-दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से भी सटा हुआ है। ऐसे में जरूरी है, कि उत्तराखंड में ऐसा कानून हो, जो सभी के लिए एक समान हो। समाज, विधि विशेषज्ञ को मिलाकर हम एक कमेटी बनाएंगे। यह कमेटी ड्राफ्ट तैयार करेगी और इस यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लागू किया जायेगा। आर्टिकल 44 के तहत यह राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है। मंत्रिमंडल ने तय किया है, कि शीघ्र ही इसे लागू करेंगे। गोवा के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा, जो यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लाएगा।
आज पहली कैबिनेट बैठक के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री @madankaushikbjp जी तथा संगठन महामंत्री श्री @ajaeybjp जी ने दृष्टि पत्र सौंपा। pic.twitter.com/t0qzBtQArH
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) March 24, 2022
उल्लेखनीय है, कि बीते बुधवार शपथ ग्रहण समारोह से पूर्व दूसरी बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने (Uniform Civil Code) को लागू करने की बात दोहराई थी। बता दें, कि समान नागरिक संहिता का अर्थ भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक के लिए एक बराबर कानून होगा, चाहे वह किसी भी मजहब अथवा जाति से संबंधित क्यों ना हो। समान नागरिक संहिता में विवाह, तलाक और पैतृक संपत्ति के बँटवारे में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून लागू होगा।