देहरादून की सड़को पर दौड़ रही सिटी बसें यात्रियों की सुविधाओं का कितना ख्याल रख रही है और यातायात के नियमों का कितना पालन कर रही है, इसकी हकीकत जानने के लिए आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी गुरुवार को स्वयं यात्री बनकर राजपुर की तरफ से आ रही सिटी बस में वह सामान्य यात्री बनकर सवार हो गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शहर में संचालित सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं के अंतर्गत संचालित सिटी बसों की स्थिति जानने के लिए गुरुवार को आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी अनोखे अंदाज में परेड ग्राउंड पहुंचे। इसके बाद सरकारी वाहन से उतरकर आरटीओ पैदल ही कुछ दूर सड़क पर चलते हुए बस स्टाप पहुंचे।
उस दौरान राजपुर-क्लेमेनटाउन मार्ग की राजपुर की तरफ से आ रही सिटी बस में आरटीओ सामान्य यात्री बनकर सवार हो गए। बस में सभी सीटें फुल थीं और कुछ यात्री खड़े हुए थे। सिटी बस के चालक और परिचालक यूनिफार्म में भी नहीं थे। इस दौरान आरटीओ ने पूरी बस का निरीक्षण किया और यात्रियों से सामान्य पूछताछ की। निरीक्षण के दौरान आरटीओ को महिला आरक्षित सीटों पर पुरुष यात्री बैठे हुए मिले।
गौरतलब है, कि सिटी बस में सवार सवारियों से बातचीत और निरीक्षण के बाद जब आरटीओ ने स्वयं का परिचय दिया, तो चालक-परिचालक के हाथ पैर फूल गए। महिला आरक्षित सीटों पर बैठे पुरुषों को देख आरटीओ का पारा चढ़ गया। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ सीट पर बैठे पुरुषों को नियम का पाठ पठाया, बल्कि परिचालक को चेतावनी देकर महिलाओं की सीट आरक्षित रखने के निर्देश दिए।
आरटीओ ने सिटी बस में महिला आरक्षित सीटों को तत्काल खाली कराया। उन्होंने बताया, कि 25 सीटर की सभी बसों में महिलाओं के लिए छह, जबकि 26 से 35 सीटर बसों में महिलाओं के लिए दस सीटे आरक्षित रहती है। आरटीओ ने चालक-परिचालक को सख्त हिदायत देते हुए कहा, कि यदि बस से बच्चे उतर रहे हों, तो उन्हें सावधानी से उतारें। परिचालक को बताया, कि यात्रियों को उतारते हुए यह सुनिश्चित कर लें, कि पीछे से कोई वाहन बायीं तरफ से ओवरटेक न कर रहा हो।
गुरुवार को आरटीओ शैलेश तिवारी द्वारा शहर की अन्य सिटी बसों का भी औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान अन्य बसों में भी आरक्षित महिला सीटों पर पुरुष यात्री बैठे हुए मिले। चालक व परिचालक भी वर्दी में नहीं मिले और कुछ बसों में गंदगी का अंबार भी मिला। आरटीओ ने ऐसी नौ सिटी बसों का चालान किया, जो नियमों का पालन नहीं कर रही थी।
आरटीओ ने बसों में दिव्यांग यात्रियों के लिए आरक्षित सीट समेत बसों में डस्टबीन, चालक व परिचालक के वर्दी में होने की जांच की। इसके अलावा चालकों की एल्कोमीटर से भी जांच की गई। चेकिंग के दौरान कुल 37 बसों की जांच की गई, जिनमें नियमों का पालन न होने व चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस न होने पर पर नौ बसों का चालान किया गया। इस दौरान परिवहन कर अधिकारी अनुराधा पंत भी उपस्थित रहीं।
आरटीओ ने सिटी बस के परिचालकों को महिला एवं बुजुर्ग यात्रियों का सामान चढ़ाने व उतारने में सहायता करने को भी कहा। आरटीओ ने मीडिया को बताया, कि निरीक्षण के दौरान कई बसों में नियमों का पालन होते हुए भी मिला। यात्रियों को टिकट भी दिए जा रहे थे और चालक-परिचालक वर्दी में थे और बसों में डस्टबीन भी उपलब्ध था।