मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार (4 दिसंबर 2023) को सीएम आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में जीआई (G.I) प्रमाण पत्रों का वितरण किया। उल्लेखनीय है, कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जिसे एक दिन में सबसे अधिक 18 जीआई प्रमाण पत्र मिले है। इस अवसर पर सीएम धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, कि उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही आज भारत सरकार से प्रदेश के 18 उत्पादों को भौगोलिक सांकेतिक टैग युक्त प्रमाण पत्र मिल पाए है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा, कि आज का दिन उत्तराखंड राज्य के लिए ऐतिहासिक है। 2003 में जीआई कानून बनने से लेकर 2023 तक के बीते बीस वर्षों के सफर में पहली बार एक दिन में, एक साथ किसी राज्य के 18 उत्पादों को जीआई प्रमाण पत्र निर्गत किये गए है। उन्होंने कहा, कि इस उपलब्धि से उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजनों के साथ ही कई अन्य वस्तुओं तथा इनसे संबंधित कलाकारों को काफी लाभ होने के साथ ही दुनियाभर में उत्तराखंड को अलग पहचान मिलेगी।
Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami says, “Today is a historic day for Uttarakhand. For the first time in the twenty years since the enactment of the GI law in 2003 till 2023, GI certificates have been issued to 18 products of a state simultaneously in a single day. With this… https://t.co/Cu7if2Dg2U pic.twitter.com/O4h3EAPYvl
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) December 4, 2023
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के प्रयासों को इससे और अधिक मजबूती मिलेगी। उत्तराखंड के सभी जिलों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘एक जनपद, दो उत्पाद’ योजना पर राज्य में तेजी से कार्य किये जा रहे है। इस योजना के तहत बाजार में मांग के अनुरूप कौशल विकास, डिजाइन, रॉ मैटेरियल, नई तकनीक आदि के आधार पर प्रत्येक जिले में दो उत्पादों का विकास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आशा व्यक्त करते हुए कहा, कि जीआई टैग युक्त उत्तराखण्ड के उत्पादों का निर्यात तेजी से बढ़ेगा। उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में वहां के स्थानीय उत्पादों को पहचान कर उनके अनुरूप परंपरागत उद्योगों का विकास करना योजना का मुख्य उद्देश्य है। इस योजना से स्थानीय काश्तकारों एवं शिल्पकारों के लिए जहां एक ओर स्वरोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हर जिले के स्थानीय उत्पादों को विश्वस्तरीय पहचान मिल रही है।
इस अवसर पर कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने कहा, कि उत्तराखंड के मोटे अनाज मण्डुआ, झंगोरा, लाल चावल सहित 18 उत्पादों को एक साथ भौगोलिक सकेंतक (जीआई टैग) प्राप्त हुए है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत तथा लोकल फॉर ग्लोबल अभियान को बढ़ावा देने एवं श्रीअन्न को बढ़ावा देने के लिए जो मार्ग दर्शन दिये गये हैं, उसके अनुरूप प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जीआई के लिए प्रयास किया।
कृषि मंत्री ने कहा, कि राज्य को एक साथ 18 उत्पादों के जीआई टैग प्राप्त हुए हैं, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। उत्तराखंड के 09 उत्पादों को जीआई टैग पहले ही मिल चुका है। उन्होंने बताया, कि 12 जनवरी से 18 जनवरी 2024 तक एक सप्ताह का देहरादून में प्रदेश स्तरीय जी.आई महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर उत्तराखंड मण्डी परिषद एवं विपणन बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अनिल डब्बू, प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भाष्कर खुल्बे, सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम, पद्मश्री एंव जीआई विशेषज्ञ श्री रजनीकांत, महानिदेशक कृषि श्री रणवीर सिंह चैहान, और वर्चुअल माध्यम से भारत सरकार के महानियंत्रक प्रो. उन्नत पी. पंडित उपस्थित थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक उत्तराखंड के कुल 27 उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है। राज्य को जो 18 नये जी.आई प्रमाण पत्र मिले हैं, उनमें उत्तराखंड चौलाई, झंगोरा, मंडुआ, लाल चावल, अल्मोड़ा लखोरी मिर्च, बेरीनाग चाय, बुरांस शरबत, रामनगर नैनीताल लीची, रामगढ़ आडू, माल्टा, पहाड़ी तोर, गहत, काला भट्ट, बिच्छूबूटी फैब्रिक, नैनीताल मोमबत्ती, कुमांऊनी रंगवाली पिछोड़ा, चमोली रम्माण मास्क तथा लिखाई वुड कार्विंग शामिल हैं।
उत्तराखण्ड के नौ उत्पादों तेजपात, बासमती चावल, ऐपण आर्ट, मुनस्यारी का सफेद राजमा, रिंगाल क्राफ्ट, थुलमा, भोटिया दन, च्यूरा ऑयल तथा ताम्र उत्पाद को पहले ही जी.आई टैग प्राप्त हो चुका है।