देवभूमि उत्तराखंड में मूल निवास की मांग एक बार फिर से उठने लगी है। रविवार (24 दिसंबर 2023) को मूल निवास कानून लागू करने और इसकी कट ऑफ डेट 26 जनवरी 1950 घोषित किए जाने व प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर देहरादून में उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया जा रहा है। महारैली में भारी संख्या में युवा और तमाम सामाजिक और राजनीतिक संगठन शामिल होने पूरे राज्य से पहुंचे है।
उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान महारैली में बड़ी संख्या में युवा और तमाम सामाजिक और राजनीतिक संगठन शामिल होने के लिए परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए। परेड ग्राउंड में एकत्र होकर लोग रैली की शक्ल में काॅन्वेंट स्कूल से होते हुए एसबीआई चौक, बुद्धा चौक, दून अस्पताल, तहसील चौक होते हुए कचहरी स्थित शहीद स्मारक पहुंचें।
मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा, कि यह उत्तराखंड की जनता की अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने कहा, कि यह जन आंदोलन है, जिसका नेतृत्व उत्तराखंड की आम जनता कर रही है, इसलिए इस आंदोलन से संबंधित कोई भी फैसला आम जनता के बीच से ही निकलेगा।
बता दें, उत्तराखंड में एक लंबे वक्त से भू-कानून की मांग की जाती रही है। नियमों की अनदेखी कर बाहरी राज्यों के लोग यहां औने-पौने दामों में जमीनें खरीदकर उसमें होटल-रिजॉर्ट बना रहे है। पर्वतीय राज्य की पहचान से जुड़े इस महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने खुद लोगों को इस महारैली का हिस्सा बनने का निमंत्रण दिया था। विधानसभा चुनाव के दौरान युवाओं ने सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग जोरशोर से उठाई थी।
उत्तराखंड मूल निवास स्वाभिमान संघर्ष समिति की प्रमुख मांगें निम्नलिखित है
- राज्य में सशक्त भू-कानून लागू किया जाये।
- शहरी क्षेत्र में 250 मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू हो।
- ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
- गैर कृषक की ओर से कृषि भूमि खरीदने पर रोक लगे।
- पर्वतीय क्षेत्र में गैर पर्वतीय मूल के निवासियों के भूमि खरीदने पर तत्काल रोक लगे।
- राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार की ओर से विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को दान या लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
- प्रदेश में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र में लगने वाले उद्यमों, परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण या खरीदने की अनिवार्यता है या भविष्य में होगी, उन सभी में स्थानीय निवासी का 25 प्रतिशत और जिले के मूल निवासी का 25 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित किया जाए।
- ऐसे सभी उद्यमों में 80 प्रतिशत रोजगार स्थानीय व्यक्ति को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए।