उत्तराखंड की राजधानी देहरादून बनने के बाद निजी शिक्षण संस्थान की संख्या में अंधाधुन वृद्धि दर्ज की गई है। देहरादून के जिस भी कोने में निजी शिक्षण संस्थान खोले गए, वहां पढ़ने आये छात्रों की रहने की व्यवस्था के लिए आस पास के घरो को अवैध हॉस्टल में तब्दील कर दिया गया है। जिन लोगो ने इंस्टिट्यूट के नजदीक नए हॉस्टल का निर्माण करवाया है, उन लोगो ने भवनों का मानचित्र भी पास करवाना गंवारा नहीं समझा।
दरअसल हॉस्टल बनाकर छात्रों को कमरा देने वालो ने इस धंधे में मोटी कमाई की है और पुलिस द्वारा किरायदारों के वेरिफिकेशन की जरुरत भी नहीं समझी। इन हॉस्टल को दरअसल अधिकतर धनवान लोगो की सन्तानो के लिए ऐशगाह बना दिया गया है। अक्सर इन हॉस्टल में नशाखोरी, देह व्यापार और अश्लील हरकते इस चरम सीमा पर पहुंच जाती है, कि आस – पास रहने वाली युवतियों और महिलाओ का अपने घरो से निकलना भी मुश्किल हो जाता है।
देहरादून में कुकरमुत्ते की तरह उग आये अवैध हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए कोई नियम कायदे नहीं है। हॉस्टल में रहने वाले छात्र मादक पदार्थो के नशे में चूर रात भर सड़को पर आवारागर्दी करते है। जिस स्थान में हॉस्टल है, उन स्थान के नजदीक रहने वाले लोगो का जीना दूभर हो जाता है। और आपत्ति दर्ज करने पर हॉस्टल में रहने वाले छात्र समूह बनाकर मारपीट और दबंगई पर उतर आते है।
अक्सर इन अवैध हॉस्टल पर असामाजिक और आपराधिक लोगो को भी शरण दी जाती है। हॉस्टल संचालक बाहरी राज्यों से इंस्टिट्यूट में पढ़ने का बहाना बनाकर आये आपराधिक तत्वों का कोई पुलिस वारीफिकेशन नहीं करवाते है। वैसे भी देहरादून को अपराधियों के लिए सुरक्षित शरणस्थली माना जाता है। छात्रों के भेष में अवैध हॉस्टल में रहने वाले अपराधी मौका पड़ने पर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में रहते है।
राजधानी देहरादून में अवैध हॉस्टल और पेइंग गेस्ट हाउस के नाम पर अब देहरादून नगर निगम लगाम कसने की तैयारी करने जा रहा है। नगर निगम आयुक्त द्वारा निगम के टैक्स विभाग द्वारा पिछले वर्ष किये गए सर्वे की रिपोर्ट की समीक्षा के निर्देश दिए है। और हॉस्टल पर कमर्शियल प्रॉपर्टी टैक्स लगाने के निर्देश दिए है।