
प्रतीकात्मक चित्र
देहरादून में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक शख्स ने बेटे की चाहत में दो शादियां और दो लिव-इन रिलेशन बनाए, लेकिन फिर भी बेटा न होने पर वह इतना बौखला गया, कि अब वो उन्हें बुरी तरह मानसिक प्रताड़ना दे रहा है।
दरअसल, एक शख्स ने विदेश में होटल से संबंधित बिजनेस किया और खूब धन-दौलत कमाई, लेकिन बेटा पैदा करने की सनक उसपर ऐसी सवार हुई, कि दो शादियां और दो लिव इन रिलेशन बनाने के बाद भी किसी से बेटा नहीं हुआ, तो उसने एक और लिव इन पार्टनर के साथ संबंध बनाये और जब उसकी चौथी बेटी का जन्म हुआ, तो उस शख्स ने उस महिला से भी दूरी बना ली।
आरोप है, कि अब शख्स वीडियो कॉल करके कभी छत से कूदने की धमकी देता है, तो कभी हाथ की नस काटकर खुदखुशी करने के लिए डराता है। इन हालात में लिव इन पार्टनर ने राज्य महिला आयोग में गुहार लगाई है। उनका कहना है, कि उन्हें उनके सिरफिरे पार्टनर के मानसिक उत्पीड़न से मुक्ति और गुजारा भत्ता एवं संपत्ति में अधिकार दिलाया जाये।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विदेश में रहने वाले शख्स की पहली तलाकशुदा पत्नी और उनकी दो बेटियां देहरादून में रहती है। शिकायतकर्ता के अनुसार, पहली पत्नी को तलाक देने के बाद उसके पार्टनर ने विदेश में दूसरी शादी रचा ली और उससे उसे एक बेटी है। वहीं बेटे की चाहत में शख्स ने तीसरी महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में भी वक्त बिताया, जिसके बारे में अब कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
इसके बाद शख्स ने फिर चौथी पार्टनर के साथ संबंध बनाये, लेकिन उससे भी बेटी पैदा होने पर उसने उस महिला से भी दूरी बना ली। महिला आयोग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उस व्यक्ति की काउंसलिंग व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग के जरिए की। राज्य महिला आयोग अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने जानकारी दी है, कि व्यक्ति को समझाया गया, कि अपनी पार्टनर और बच्ची को कानूनी अधिकार प्रदान करना उसका दायित्व है।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा, कि जब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होगा, तो लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपने संबंधों का पंजीकरण कराना अनिवार्य हो जाएगा। इसके बाद यदि लिव-इन पार्टनर को प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें कानूनी सहायता से अपने अधिकार प्राप्त करना आसान होगा।
सुनवाई के दौरान आयोग की सदस्य सचिव उर्वशी चौहान और विधि अधिकारी दयाराम भी उपस्थित रहे। सुनवाई के लिए अगली तारीख निर्धारित की गई है और राज्य महिला आयोग मामले की निगरानी कर रहा है।