अपने ही परिवार के पांच सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाले हत्यारे की फांसी की सजा पर नैनीताल हाईकोर्ट में बीते शुक्रवार को सुनवाई पूरी हुई। सुनवाई के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें, कि 23 अक्तूबर 2014 की रात एक सनकी युवक ने अपने माता-पिता, गर्भवती बहन और तीन साल की भतीजी समेत बहन के कोख में पल रहे गर्भ की भी निर्मम तरीके से चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी थी।
पुलिस की जांच के दौरान सामने आया, कि हत्यारोपी हरमीत ने घर के पांच सदस्यों को मारने के लिए चाकू से 85 बार हमला किया था, जिसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हुई थी। जांच में पता चला, कि हरमीत के पिता जय सिंह ने दो शादियां कर रखी थी। हरमीत को मन में ये वहम घर कर गया था, कि उसके पिता सारी प्रॉपर्टी उसकी सौतेली बहन के नाम कर देंगे, इसलिए उसने घर में मौजूद पांचों लोगों की हत्या कर दी।
इस पूरे घटनाक्रम को अपनी आँखों से देखने वाला चश्मदीद कंवलजीत 10 साल बाद भी उस खौफनाक मंजर को याद कर सिहर उठता है। उस वक्त हरमीत के भांजे कंवलजीत की उम्र सात साल थी। हत्यारे ने अपने पिता, सौतेली मां, बहन और भांजी को मौत के घाट उतारने के बाद अपने खूनी कदम कंवलजीत की तरफ भी बढ़ाये थे, लेकिन अज्ञात कारणों से उसने भांजे की हत्या नहीं की। इस वारदात में चश्मदीद कंवलजीत की गवाही अहम थी।
बता दें, कि 23 अक्तूबर 2014 के दिन चकराता रोड स्थित आदर्शनगर कॉलोनी के निवासी दिवाली के उत्सव की तैयारियां कर रहे थे। इसी कालोनी में रहने वाले जय सिंह का घर पर भी दिवाली की रात रंगबिरंगी रोशनियों से जगमगा रहा था। आतिशबाजी करने के बाद जय सिंह का परिवार सोने के लिए चला गया। शहर, कस्बे और कालोनी में हो रही आतिशबाजी और पटाखों के शोर के बीच घर के अंदर मौजूद सभी लोग बेफिक्र गहरी नींद में सो रहे थे।
बाहर हो रहे इस शोरगुल का फायदा उठाते हुए हरमीत ने सबसे पहले अपने पिता जय सिंह को चाकू से गोद डाला। इसके बाद दूसरे कमरे में मां कुलवंत कौर को मौत के घाट उतारने के बाद वो गर्भवती बहन हरजीत के कमरे में दाखिल हुआ। हत्यारोपी ने बहन हरजीत और उसकी तीन साल की बेटी और बहन के गर्भ में पल रहे शिशु की चाकू से गोद हत्या कर दी। इस दौरान उसने अपने भांजे कंवलजीत को भी मारने का प्रयास भी किया, हालाँकि वो किसी प्रकार हमले से बच गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ, कि चारों मृतकों के शरीर पर कुल 88 घाव थे। इनमें से सबसे अधिक 29 वार कातिल ने अपने पिता जय सिंह पर किए थे। वहीं मां कुलवंत कौर पर 27 वार किये थे। सबसे ज्यादा वहशीपन उसने बहन हरजीत के साथ दिखाया। गर्भवती बहन के पेट व अन्य हिस्सों में उसने 20 वार किए, जिससे उसका पेट पूरी तरह से फट गया और नौ माह के गर्भस्थ शिशु की भी मौत हो गई।
हत्यारे ने भांजी सुखमणि के शरीर पर कुल 11 वार किए, जबकि भांजे के शरीर पर दो घाव के निशान मिले थे। अभियोजन ने इस मुकदमे में कुल 61 दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए थे। मुकदमे के ट्रायल दौरान हत्यारे ने खुद को मानसिक बीमार भी कहना शुरू कर दिया था। कोर्ट के निर्देशों पर दो बार दिल्ली एम्स के चिकित्सकों ने उसकी जांच की, लेकिन स्थिति स्पष्ट नहीं हुई। इसके बाद एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों के पैनल ने भी दो बार जांच की, तो उसे दूसरी जाँच में स्वस्थ घोषित कर दिया गया।
गौरतलब है, कि सत्र न्यायालय देहरादून ने इस मामले को दुर्लभ में दुर्लभतम मानते चार लोगों समेत एक गर्भस्थ शिशु की हत्या के दोषी हरमीत को फांसी की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते वक्त कातिल की तुलना पशु से की थी। कोर्ट ने लिखा था, कि उसका यह कृत्य बर्बरता और पशुतापूर्ण आचरण को दर्शाता है।
कोर्ट ने कहा, कि बचाव पक्ष की मांग आजीवन कारावास है, लेकिन यदि ऐसा हुआ तो इसका संदेश समाज में ठीक नहीं जाएगा। हर व्यक्ति को अपने जान माल की सुरक्षा का अधिकार है। हत्यारे ने चार लोगों का कत्ल कर एक गर्भस्थ शिशु को दुनिया में आने से पहले ही मौत के घाट उतार दिया। यह कृत्य पशुतापूर्ण है। इससे उसकी उम्र, आर्थिक स्थिति, कमाने का जरिया आदि सब बातें कोई मायने नहीं रखती है।