केरल राज्य में सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में इस बार भक्तो ने दिल खोलकर दान दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भगवान अयप्पा के मंदिर को लगभग 351 करोड़ रुपए का दान मिला है। चढ़ावे के सिक्कों की गिनती के लिए मंदिर समिति ने अपने करीब 600 कर्मचारियों को काम पर लगा रखा है, लेकिन फिर भी गणना पूरी नहीं हो पाई है। सिक्के गिनते-गिनते जब कर्मचारियों को थकान महसूस होने लगी, तब प्रबंधन ने इस कार्य को रोककर कर्मचारियों को कुछ समय के लिए आराम दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 60 दिवसीय मंडलम-मकरविलक्कू महोत्सव पिछले साल नवंबर 2022 से शुरू हुआ था। इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन करने मंदिर पहुँचे। बताया जा रहा है कि इस बार भक्तों ने दिल खोलकर चढ़ावा चढ़ाया है, जिससे दान के पिछले रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए है। त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष के. अनंत गोपाल ने बताया, कि नोट गिनने वाली मशीन से सिक्कों की गिनती संभव नहीं है। वहीं अय्यप्पा मंदिर को सिक्कों के रूप में भी करोड़ों रुपए का दान मिला है।
भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में 3 गुना चढ़ावा…
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रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर में चढ़ने वाले सिक्कों को एक बड़े कक्ष में रखा गया है। ये सिक्कों के बड़े-बड़े पहाड़ के रूप में नजर आ रहे है। इसके साथ ही मंदिर को प्रसाद की बिक्री से भी आय होती है। उत्सव के समय मंदिर से अरावना और अप्पम प्रसादम के रूप में भक्तों को दिया जाता है। वहीं अप्पम की हुंडी 100 रुपए में मिलती है। मंदिर में पहुँचने वाले असंख्य श्रद्धालु इस प्रसादम को खरीदते है।
उल्लेखनीय है, कि भगवान अय्यप्पा को चढ़ावा अर्पित करने की प्रथा थोड़ी भिन्न है। मंदिर में धन प्रत्यक्षतौर पर हुंडी या दानपात्र में नहीं डाले जाता। नोट अथवा सिक्के को एक थैली में पान के पत्ते के साथ रखा जाता है। यही थैली फिर कनिका के रूप में भेंट की जाती है। मंदिर के गर्भगृह में भक्त जो दान अर्पित करते हैं, उसे कनिका कहा जाता है। अगर इस थैली को ज्यादा देर तक न खोला जाए, तो पान के पत्ते के गलने से नोट खराब भी हो सकते है।