दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें शराब घोटाले के मामले में कम होने का नाम नहीं ले रही है। जेल में बंद सीएम केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अंतरिम जमानत देने के शीर्ष अदालत के सुझाव का प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार (9 मई 2024) को विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्रीय एजेंसी ने कहा, कि चुनाव प्रचार का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और ना ही कानूनी या संवैधानिक अधिकार है।
प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा, “अभिसाक्षी की जानकारी में अभी तक किसी भी राजनीतिक नेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत प्रदान नहीं की गई है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा, “विगत पांच वर्षों में लगभग 123 चुनाव संपन्न हुए हैं। यदि चुनाव प्रचार के उद्देश्य से अंतरिम जमानत दी जानी है, तो किसी भी राजनेता को गिरफ्तार किया जाना संभव नहीं है और ना ही न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि चुनाव पूरे वर्ष होते रहते हैं।” ED ने तर्क दिया कि संघीय ढाँचे में प्रत्येक चुनाव महत्वपूर्ण है।
हलफनामे में आगे कहा गया है, “हर स्तर पर हर राजनेता यह तर्क देगा, कि यदि उसे अंतरिम जमानत पर बरी नहीं किया गया, तो उसे अपरिवर्तनीय परिणाम भुगतने होंगे। अकेले धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के अंतर्गत वर्तमान में कई राजनेता हैं, जो न्यायिक हिरासत में हैं और उनके मामलों की जाँच सक्षम अधिकारियों द्वारा की जा रही है।”
केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा, “अदालतें उनकी (नेताओं की) हिरासत को बरकरार रख रही हैं। गैर-पीएमएलए अपराधों में पूरे देश में कई राजनीतिक नेता न्यायिक हिरासत में होंगे। इसलिए ऐसा कोई स्पष्ट कारण नहीं है, कि याचिकाकर्ता द्वारा विशेष उपचार की विशेष प्रार्थना को स्वीकार किया जाए।”
केंद्रीय एजेंसी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, कि यदि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है, तो यह एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा, जो सभी भ्रष्ट राजनेताओं को अपराध करने और फिर चुनाव की आड़ में जाँच से बचने की अनुमति देगा। एजेंसी ने कहा, कि एक राजनेता एक सामान्य नागरिक से विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकता।
बता दें, कि इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार (10 मई 2024) को होगी। इस मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करने वाली पीठ की अध्यक्षता करने वाले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था, “हम शुक्रवार को अंतरिम आदेश (अंतरिम जमानत पर) सुनाएँगे। गिरफ्तारी को चुनौती देने से जुड़े मुख्य मामले पर भी उसी दिन निर्णय किया जाएगा। आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद है।