पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समाज को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। बांग्लादेश में एक तरफ हिंदू ग्रामीणों के घरों में लूटपाट कर आग के हवाले किया जा रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ महिलाओं से बलात्कार की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। इसी बीच अब सरकारी नौकरी में कार्यरत हिंदुओं को इस्तीफा देने के लिए जबरन दबाव बनाये जाने के मामले सामने आ रहे है।
दरअसल, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतिरम सरकार के गठन के बाद से अल्पसंख्यक हिंदू समाज के सरकारी शिक्षकों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बांग्लादेश से सामने आ रही मीडिया रिपोर्ट्स में अब तक 50 हिंदू शिक्षकों को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। हालाँकि, वास्तविक संख्या इससे बहुत ज्यादा बताई जा रही है।
ऐसे ही एक मामले में बरिशाल के बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर को इस्तीफा के लिए मजबूर किया गया।स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बेकरगंज सरकारी कॉलेज की प्रधानाचार्य शुक्ला रानी हलदर से 29 अगस्त को छात्रों और अराजक तत्वों की भीड़ ने जबरन इस्तीफा ले लिया। बताया जा रहा है, कि उग्र भीड़ का नेतृत्व स्थानीय बीएनपी नेता के बेटे ने किया, जो कॉलेज का छात्र है। भीड़ में अधिकतर लोग बीएनपी पार्टी के कार्यकर्ता थे।
Prof. Shukla Rani Halder, one of Bangladesh's top English professors & Principal of Bakerganj Govt. College, was forced to resign yesterday by the Muslim Student Union.
This is the reality for Hindus in Bangladesh today. #AllEyesOnBangladeshiHindus #SaveBangladeshiHindus… pic.twitter.com/hQYq4ABTDZ
— Radharamn Das राधारमण दास (@RadharamnDas) August 30, 2024
बता दें, कि कट्टरपंथी गतिविधियों में लिप्त बीएनपी खालिदा जिया की सियासी पार्टी है। शेख हसीना की विरोधी और हिंदुओं के खिलाफ नफरत के कुख्यात बीएनपी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रधानाचार्य शुक्ला रानी हलदर पर वित्तीय भ्रष्टाचार, अनियमित उपस्थिति और अन्य कदाचार का आरोप लगाते हुए उनके कार्यालय पर हमला बोल दिया और उन्हें धमकाते हुए अपने पद से इस्तीफा देने का दबाव बनाया।
आखिरकार प्रदर्शनकारियों के दवाब के चलते प्रधानचार्य शुक्ला रानी हलदर को एक कोरे कागज पर “मैं इस्तीफ़ा देती हूँ” लिखना पड़ा। इसके बाद उन्हें कागज पर हस्ताक्षर करने और मुहर लगाने के लिए मजबूर किया गया। प्रिंसिपल शुक्ला रानी हलदर ने कहा, “मेरे कुछ छात्रों ने मुझे बहुत जलील किया है। उन्होंने कहा, “प्रदर्शनकारियों को शांत करने में असमर्थ होने के बाद मेरे पास त्यागपत्र देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अब, पूरे मामले का निर्णय शिक्षा मंत्रालय के उच्च अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।”
गौरतलब है, कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद ऐसी कई घटनाएँ घटित हुई है, जिसके बाद अल्पसंख्यक हिंदू शिक्षकों में डर का माहौल है। दिन प्रति दिन बिगड़ती जा रही कानून व्यवस्था के बीच बांग्लादेश में हिंदू शिक्षकों के साथ-साथ अन्य सरकारी सेवाओं में काम करने वाले लोगों के बीच खौफ और लाचारगी की भावना बढ़ती जा रही है।