धर्मनगरी हरिद्वार में बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार की प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने शुक्रवार (28 जुलाई 2023) को आजाद बलूचिस्तान के निर्माण के लिए मां गंगा के साथ ही देवाधिदेव भगवान शिव की पूर्ण विधि-विधान से पूजा की। कादरी बलोच ने गंगा के तट से पाकिस्तान के अवैध कब्जे से आजादी के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समर्थन मांगा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संघर्ष की प्रमुख नेता डा. नायला कादरी बलोच ने कहा, कि इस्लामिक सिद्धांत के मुताबिक मुस्लिम मुल्क के रूप में पाकिस्तान का कोई वजूद नहीं है। पाकिस्तान आज भी भारत का ही अंश है। बलोच नेता ने कहा, कि इस्लाम व कुरान दोनों ही घृणा के आधार पर निर्मित किसी भी चीज को न तो कबूल करते है, न ही मजहबी मान्यता देते है।
नायला कादरी बलोच ने कहा, कि सनातन धर्म के मंदिरों को तोड़ने वालों की औलादों को अपने पुरखों के कुकृत्य पर माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा, कि सनातन धर्म के उपासना स्थलों में प्रेम और सम्मान मिलता है। इससे वह पूरी तरह अभिभूत है। सनातन धर्म के मंदिर और उपासना स्थल सम्पूर्ण मानवता के लिये प्रेम और सम्मान से भरे है। उन्होंने कहा, कि बलूचिस्तान को भारत से बेहद उम्मीद है, भारत के लिए उनके मन में हमेशा सम्मान का भाव रहता है।
दैनिक जागरण को दिए एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा, कि बलूचिस्तान के निवासियों ने वर्ष 2016 में आपसी सहमति से बलूचिस्तान सरकार का गठन करते हुए उन्हें अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। बलोच नेता ने कहा, कि बलूचिस्तान की स्वतंत्रता का मामला वर्ष 1971 के बांग्लादेश और वर्ष 1948 के कश्मीर मामले से अलग है। बलूचिस्तान को इनसे अलग दृष्टिकोण, मनोवृत्ति से देखने और समझने की जरुरत है।
हरिद्वार स्थित वी आई पी घाट में आजाद बलूचिस्तान के लिये हुई महादेव की विशेष पूजा अर्चना। @india @Balochistan @Pakistan @NailaQadriBaloch pic.twitter.com/p3gJYqmicG
— Narsingh with Udita (@Withnarsingh) July 28, 2023
बता दें, बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार की प्रधानमंत्री नायला कादरी बलोच ने बीते शुक्रवार को महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी, डॉ. उदिता त्यागी और हिन्दू महासभा की नेता राजश्री चौधरी के साथ हरिद्वार पहुंचकर भगवान शिव की विधिवत पूजा अर्चना की। इस अवसर पर श्रीपरशुराम आखाड़ा के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक समेत अन्य संत-समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।