अल्मोड़ा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडेय उर्फ पीपी को बीते गुरुवार को पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच हल्द्वानी स्थित उसके घर लाया गया। प्रकाश पांडेय को अपने पिता के पीपलपानी संस्कार में शामिल होने के लिए सात घंटे की पैरोल मंजूर हुई थी। इस दौरान प्रकाश पांडे संन्यासियों की तरह गेरुवा वस्त्र पहने नजर आया। पीपी के बदले हुए स्वरूप को देखकर इस बात की अटकलें लगने लगी, कि क्या प्रकाश पांडे ने संन्सास ले लिया है?
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है, कि 17 मार्च को पीपी ने अल्मोड़ा जेल प्रशासन को पत्र लिखकर संन्यासी बनने व मंदिर में पूजा-पाठ करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन जेल प्रशासन ने जेल के बाहर पूजा पाठ की मंजूरी नहीं दी। वहीं, काठमांडू के नाथ संप्रदाय के आचार्य दंडीनाथ महाराज ने बीते दिनों एक्स पोस्ट पर एक तस्वीर शेयर कर दावा किया था, कि 28 मार्च को उन्होंने अल्मोड़ा जेल के अंदर जेल प्रशासन की निगरानी में पीपी को संन्यास की दीक्षा दिलाई। जिसके बाद प्रकाश पांडे उर्फ पीपी नए नाम के साथ योगी प्रकाश नाथ बन गया है।
गुरुवार, दि. 28 मार्च, 2024 को हर्षण योग युक्त अमृतवेला के शुभमुहूर्त में जिला जेल, अल्मोड़ा में नाथ सम्प्रदायाचार्य एवं वैदिक आचार्य द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच योगी प्रकाशनाथ की संन्यास दीक्षा सम्पन्न हुई…
-विश्वगुरु-भारत-परिषद् pic.twitter.com/tEUqCrVVTr— नाथसम्प्रदायाचार्यदंडीनाथजी (@MDharmadatta) March 28, 2024
हालांकि, इस पूरे मामले को लेकर ईटीवी भारत ने अल्मोड़ा जेलर जयंत पांगती से जानकारी मांगी, तो उनका कहना है, कि प्रकाश पांडे उर्फ पीपी से मिलने कई लोग जेल आते रहते है। इसी दौरान हो सकता है, कि इस प्रकार की कोई चर्चा हुई होगी। हालांकि, उन्होंने संन्यास दीक्षा के लिए जेल में किसी तरह का कोई आयोजन होने से इंकार किया।
गौरतलब है, कि कभी अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का दाहिना हाथ रहे प्रकाश पांडे उर्फ पीपी भले ही 14 सालों से जेल की सलाखों में कैद है, लेकिन उसके गैंग की दहशत आज भी बरकरार है। प्रकाश पांडे अल्मोड़ा जिले में स्थित रानीखेत के खनौइया गांव का मूल निवासी है। स्कूल से बदमाशी करने के बाद उसने अवैध शराब, लीसा लकड़ी तस्करी की और फिर मुंबई जाकर डॉन बनने की ठानी और संगीन अपराधों को अंजाम देते हुए अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया।
प्रकाश पांडे उर्फ पीपी का 1990 के दशक में कुमाऊं मंडल में अपराध के मामले में काफी दबदबा रहा, लेकिन स्थानीय पुलिस की नजरो में चढ़ने के बाद वो मुंबई फरार हो गया। अंडरवर्ल्ड डॉन बनने की ख्वाहिश में पीपी के मुंबई पहुंचने के दौरान देश सांप्रदायिक हिंसा की आग में धधक रहा था। उस दौरान मुंबई के सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन गैंग के गैंगस्टर पुनीत तानाशाह और विक्की मल्होत्रा से हुई।
वहीं मुंबई ब्लास्ट का मुख्य साजिशकर्ता दाऊद और छोटा राजन ने अलग होकर अपनी अलग-अलग गैंग बना ली। मुंबई को बम धमाकों से दहलाने के बाद दाऊद इब्राहिम काले कारोबार को छोटा शकील सौंपकर पहले दुबई और फिर पाकिस्तान में जा छुपा था।
जिसके बाद छोटा राजन चाहता था, कि मुंबई से दाऊद का सफाया हो जाये और उसकी गैंग मुंबई में राज कर सके। लेकिन सभी इसी उलझन में थे, कि पाकिस्तान आखिर जायेगा कौन? ऐसे में प्रकाश पांडे उर्फ पीपी ने छोटा राजन को कहा, कि मैं जाऊंगा और प्लान को मैं ही लीड करूंगा।
डॉन छोटा राजन के इशारे पर पीपी अपने दो साथियों के साथ जून 1998 में पाकिस्तान पहुंच गया। दाऊद के बंगले का पता लगाने के बाद उसके मुखबिर ने सूचना दी, कि दाऊद रोज पास की एक मस्जिद में नमाज पढ़ने आता है, लेकिन दाऊद के गुर्गों को इस प्लानिंग की भनक लग गई थी। इसके चलते दाऊद कुछ दिन मस्जिद गया ही नहीं और पीपी को खाली हाथ लौटना पड़ा।
इसके ठीक दो साल बाद छोटा राजन गैंग ने दोबारा दाऊद की हत्या की योजना बनाई। साल 2000 में दाऊद की बड़ी बेटी मारिया की मौत के बाद राजन को लगा, कि बेटी की मौत के बाद दाऊद अपने कराची वाले घर से बाहर जरूर निकलेगा। छोटा राजन की सहायता से पीपी और उसके साथी एक बार फिर पाकिस्तान में घुसने में कामयाब रहे, लेकिन दाऊद तक पहुंचने में उन्हें फिर से नाकामी का सामना करना पड़ा। ।