गुजरात में लगातार सातवीं बार प्रंचड बहुमत लाकर सत्ता में आने के करीब भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रच दिया है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने भाजपा का विजय रथ रोककर गुजरात में मिली भीषण पराजय के दुःख को कुछ कम किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुवार (8 दिसंबर 2022) को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों की मतणगना का काम जारी है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम लगभग-लगभग सामने आ चुके है। उत्तराखंड की तरह हिमाचल में भी रिवाज तोड़ने का प्रयास कर रही सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को जोरदार झटका लगा है। आखिरकार कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया है। हिमाचल चुनाव में कांग्रेस पार्टी 40 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है। वहीं तीन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी आगे चल रहे है।
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— NDTV India (@ndtvindia) December 8, 2022
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की पराजय के तीन प्रमुख कारण बताये जा रहे है। हिमाचल प्रदेश में उम्मीदवारों के नामों के ऐलान के बाद सबसे अधिक विद्रोह के स्वर भारतीय जनता पार्टी में फूटे। बीजेपी के असंतुष्ट 21 बागी नेताओं ने निर्दलीय के तौर पर ही चुनावी मैदान में उतर गए। इस भगदड़ के दौरान बीजेपी के कुछ बागी कांग्रेस में और कुछ आम आदमी पार्टी में चले गए। परिणामस्वरूप भाजपा के वोटों में बड़ी सेंधमारी हुई, और इसका सीधा फायदा कांग्रेस को पंहुचा।
वहीं हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले स्थानीय नेताओं और मंत्रियों को लेकर भी लोगों के बीच बेहद नाराजगी थी। बड़ी संख्या में समर्थकों का कहना था, कि मंत्री और नेता उनकी बातें नहीं सुनते है, और अक्सर क्षेत्र में भी नहीं रहते है। इसके बावजूद भी पार्टी ने उन लोगों को टिकट में प्राथमिकता दी।
वहीं कुछ उम्मीदवारों पर परिवारवाद का भी आरोप लगाया गया। बीजेपी के पास हिमाचल प्रदेश में नेतृत्व की बेहद कमी देखने को मिली। 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान भी ये स्पष्ट हो गया था, कि वर्तमान सीएम जयराम ठाकुर जनता के बीच अधिक लोकप्रिय नहीं हो पाए। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के विरुद्ध भी लोगों की नाराजगी साफ तौर पर हिमाचल चुनाव के दौरान नजर आई।
उल्लेखनीय है, कि गोवा, असम, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी,कर्नाटक, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में ऐसा देखने को मिला है, जहां, चुनाव में स्पष्ट बहुमत ना मिलने के बाद भी भाजपा ने सरकार बनाने में सफलता हासिल की थी। भाजपा की इसी रणनीति को देखते हुए, हिमाचल प्रदेश को लेकर भी इस तरह के कयास लगाए जा रहे है।
अभी हिमाचल प्रदेश में भाजपा के 25 सीट जीत दर्ज करती हुई नजर आ रही है। हिमचाल में बहुमत का आंकड़ा 35 सीटों का है। इन परिस्थितयों में सरकार बनाने के लिए बीजेपी को 10 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। तीन निर्दलीय भी यदि भाजपा का दामन थाम लेते है, तो भी बहुमत के आंकड़े को छूना बीजेपी के लिए दूर की कौड़ी है।
ऐसे में यदि कांग्रेस के विधायक टूटकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाते है, तो आगे चलकर कोई बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। हालांकि, फिलहाल तो ये दूर-दूर तक संभव होता नहीं दिखाई दे रहा है।