“काले-गोरे का भेद नहीं हर दिल से हमारा नाता है” सतर के दशक में आयी :पूरब और पश्चिम” फिल्म के गीत की पक्तियां उस दौर में भी नस्लीय भेदभाव के खिलाफ एक आवाज थी। जिस भेदभाव को कभी भी भारत ने स्वीकार नहीं किया भारतीय समाज में काले रंग के प्रति कभी भी घृणा का भाव नहीं रहा। भगवान श्रीकृष्ण इसका उदहारण है क्योकि भारत में सदैव आचरण को श्रेष्ठ माना गया है अपितु किसी के शरीर के रंग को।
परन्तु दो सौ तक अंग्रेजी गोरो का गुलाम रहकर आज भी गोरे रंग की लालसा में तमाम सौंदर्य प्रसाधन का इस्तेमाल हमारी पराधीन मानसिकता का परिचायक है। और आज भी कई देशी विदेशी कंपनियों ने भारतीय लोगो को गोरा बनाने का ठेका ले रहा है। और अपने गोरेपन के उत्पाद को इस दावे के साथ बेचती है की इस क्रीम के इस्तेमाल से देश में करोड़ों महिलाओं को गोरा और खूबसूरत किया जा सकता है।
भारतीय बाजार में इस वक्त काले को गोरा बनाने का दावा करने वाली जो सबसे बड़ी कंपनी है वो हिंदुस्तान यूनिलीवर की क्रीम फेयर एंड लवली। जिस पर पिछले कई सालों से रंगभेदी होने के आरोप लगते रहे हैं। अब वह इस क्रीम के नाम से ‘फेयर’ शब्द को हटाने का फैसला कर रही है।
सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया पर कोरोनिल के समर्थन में लोगों ने फेयर एंड लवली की बिक्री और गोरा करने वाले दावों पर सवाल किया था।बाबा रामदेव के समर्थक सोशल मीडिया पर दिव्य कोरोनिल टैबलेट पर विवाद बढ़ने के बाद प्रश्न कर रहे है कि क्या इन लोगों ने कभी फेयर एंड लवली नामक क्रीम के इस्तेमाल पर कभी वैज्ञानिक प्रमाण माँगा जो पिछले बीस वर्षो से गोरेपन के लिए फेयर एंड लवली का इस्तेमाल कर रहे है वो आज पतंजलि पर मात्र इसलिए सवाल उठा रहे है क्योंकि उसे कोरोना वायरस का इलाज बताया जा रहा है।
Yes Bro you are right..The company manufacturing Fair and lovely from last 20 year..is fooling us ….and the government don’t took any action againt them and they are asking Patanjali for Proof…Shame to the Government and Food & Consumer Department of India….
— bijendra sahu (@bijendra1234) June 25, 2020
इसके अलावा कई महिला संगठनों ने इसके विरोध में कहा था कि क्रीम में गोरापन शब्द को जिस प्रकार से इस्तेमाल जा रहा है। उससे ये लगता है कि मात्र गोरी महिलाएँ ही खूबसूरत होती हैं। किसी महिला की खूबसूरती उसके रंग से नहीं आँकी जानी चाहिए।
इसके बाद अब हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी ने अपने ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि हम त्वचा को सुंदर बनाने के लिए उत्पाद बनाते रहे है। कंपनी ने फैसला किया है कि अपने इस क्रीम में गोरापन शब्द का इस्तेमाल नहीं करेगी। और साथ ही वे अपने 45 साल पुराने प्रॉडक्ट का नाम बदल देंगे।
We’re committed to a skin care portfolio that’s inclusive of all skin tones, celebrating the diversity of beauty. That’s why we’re removing the words ‘fairness’, ‘whitening’ & ‘lightening’ from products, and changing the Fair & Lovely brand name.https://t.co/W3tHn6dHqE
— Unilever #StaySafe (@Unilever) June 25, 2020