उत्तराखंड रुद्रप्रयाग जनपद बैजी गांव के निवासी और वैक्सीन मैन के नाम से मशहूर चंद्र वल्लभ बेंजवाल की बीते रविवार दिल्ली के अस्पताल में हार्ट अटैक से देहांत हो गया। दिवंगत चंद्र बल्लभ बेंजवाल वर्तमान में स्वदेशी कोरोना वायरस की वैक्सीन को-वैक्सीन बनाने के प्रोजेक्ट हेड थे। दिवंगत चंद्र बल्लभ बेंजवाल इन दिनों स्वयं भी कोरोना संक्रमण के साथ ब्लैक फंगस जैसी गंभीर बीमारी के शिकार थे। बीती चौबीस मई को उन्हें दिल्ली मैक्स हस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां उनकी आँख और नाक की सर्जरी हुई थी। बताया जा रहा है, उनकी सेहत में कुछ सुधार हो रहा था, परन्तु रविवार को सुबह अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गयी।
जानकारी के अनुसार दिवंगत वैक्सीन मैन अपने आखिरी दिनों में अपने उपचार के लिए आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे थे। पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. अरविंद दरमोडा द्वारा बताया गया, कि वैक्सीन मैन के नाम से पहचाने जाने वाले चंद्र बल्लभ बेंजवाल के उपचार में उनके जीवन की सम्पूर्ण जमा पूंजी लगभग खत्म हो चुकी थी। कुछ दिनों पहले ही चंद्र बल्लभ बेंजवाल के परिवार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये देश की जनता से आर्थिक सहायता करने की मार्मिक अपील की थी। जिसके बाद लोगो ने दिल खोल कर दान देकर तीस लाख रुपये जमा किए। जिससे चंद्र बल्लभ बेंजवाल के उपचार में सहायता मिल रही थी।
पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ अरविंद दरमोडा द्वारा कहा गया, कि चंद्र बल्लभ बेंजवाल इस वक्त भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कारपोरेशन लिमिटेड कॉल के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट थे। दिवंगत चंद्र बल्लभ बेंजवाल द्वारा कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन उत्पादन के लिए पीएमओ, सेंट्रल साइंस एंड टेक्नोलॉजी,मिनिस्ट्री एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने बिबकोल कंपनी के बेहतर प्रदर्शन का उदाहरण सामने रखते हुए केंद्र सरकार को ये यकीन दिलवाने में सफल रहे, कि यह संस्था राष्ट्र को सस्ती और बेहतर कोरोना वैक्सीन देने में पूर्ण रूप से सक्षम है। चंद्र बल्लभ बेंजवाल जी के इन्ही सघन प्रयासों के चलते केंद्र सरकार ने बिबकॉल कंपनी को को-वैक्सीन बनाने की अनुमति प्रदान करते हुए बिबकॉल कंपनी को वैक्सीन निर्माण हेतु तकरीबन तीस करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी कर दी थी।
डॉक्टर दरमोडा के अनुसार चंद्र बल्लभ बेंजवाल के उपचार के लिए उन्होंने उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से भी अनुरोध किया था। डॉ॰ दरमोडा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, कि भारत में स्वदेशी कोवैक्सीन के निर्माण कंपनी के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट चंद्र बल्लभ बेंजवाल जब करोना संक्रमण के चपेट में आए तो उन्हें पूरी दिल्ली में एक बेड तक उपलब्ध नहीं हो पाया था। इसके बाद परिजनों के अथक प्रयासों के चलते उन्हें अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध हो पाया था। कोरोना के बाद ब्लैक फंगस होने के बाद उनके परिवार वालो ने किसी प्रकार इंजेक्शन का इंतजाम किया था। यह वाकई में अत्यंत निराशाजनक बात है, कि जिस वक्त राज्य और केंद्र सरकार को वैक्सीन मैन चंद्र बल्लभ बेंजवाल के परिवार के साथ मुश्किल वक्त में खड़ा होना चाहिए था, उसके उलट देश के वैक्सीन मैन के परिजनों की राज्य और केंद्र सरकार ने कोई सुध नहीं ली।
वैक्सीन मैन दिवंगत चंद्र वल्लभ बेंजवाल ने उत्तराखंड के छोटे गांव से बचपन में ही बड़े स्वप्न देखे थे। वैक्सीन मैन के नाम से लोकप्रिय चंद्र बल्लभ बेंजवाल का दिल एक बार फिर से उत्तराखंड की वादियों में बसने का था। वे कोरोना वैक्सीन से जुड़े प्रोजेक्ट पूरा करने के बाद बाकी का जीवन पर्वतो की छाया में बीताना चाहते थे। उत्तराखंड में प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव को लेकर वह अक्सर अपनी चिंता व्यक्त करते रहते थे। और इसी कारण वह अपने गांव लौटकर पर्यावरण के लिए कुछ ठोस कार्य करना चाहते थे।