पैतृक संपत्ति के लालच में लगभग सात साल पहले दीपावली की रात अपने ही परिवार के पांच सदस्यों का बेहरमी से हत्या करने वाले हरमीत सिंह को न्यायलय द्वारा मौत की सजा सुनाई गयी है। राजधानी देहरादून स्थित अपर सत्र जिला जज (पंचम) आशुतोष मिश्रा की कोर्ट ने बीते मंगलवार मामले को दुर्लभतम (रेयरेस्ट ऑफ द रेयर) श्रेणी का मानते हुए दोषी को फांसी की सजा के साथ अलग-अलग धाराओं में एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
संपत्ति के लिए इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले हरमीत सिंह के पिता मृतक जय सिंह के भतीजे एवं शिकायतकर्ता अजीत सिंह और उनके परिजन हरमीत से इतने नाराज है, कि वे हरमीत सिंह को जल्द से जल्द फांसी पर लटके हुए देखना चाहते है। मंगलवार शाम न्यायलय ने जैसे ही दोषी हरमीत को फांसी की सजा सुनाई, तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद भी कोर्ट में खड़े हरमीत सिंह के चेहरे पर अपने किये का कोई पछतावा नहीं दिखा। सुनवाई के दौरान वह पुलिसकर्मियों से बातचीत करते हुए कह रहा था, कि जज साहब के पास शिकायत दर्ज करवाएं, कि जेल में खाने के लिए मछली नहीं मिलती है।
जानकारी के लिए बता दें, दिल को दहलाने वाले इस जघन्य हत्याकांड को दोषी हरमीत सिंह ने सात साल पहले 2014 की 23-24 अक्तूबर की रात देहरादून के कैंट थाना क्षेत्र के आदर्शनगर में अंजाम दिया था। हरमीत सिंह ने होर्डिंग कारोबारी अपने पिता जय सिंह, सौतेली माँ कुलवंत कौर, बहन हरजीत कौर और उनके गर्भ में पल रहे शिशु समेत तीन वर्षीय मासूम भांजी सुखमणि (तीन साल) का बेहरमी से कत्ल कर मोत के घाट उतार दिया था।
न्यूज मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कत्लेआम की जानकारी वर्ष 2014 की दीवाली के अगले दिन तब पता चली, जब सुबह साढ़े दस बजे घरेलू नौकरानी राजी उनके घर पहुंची। राजी ने देखा, कि घर में भीतर हर जगह खून ही खून फैला हुआ था। इसके बाद वह घबराकर घर के अंदर गई, तो जय सिंह, कुलवंत कौर, हरजीत कौर और मासूम सुखमणि के शव लहुलूहान अवस्था में शव पड़े थे। जबकि हरमीत सिंह दरवाजे की ओट में छिपकर हाथ में चाकू लिए खड़ा था, और वहीं पास में ही पांच साल का कंवलजीत भी डरी सहमी हालात में खड़ा था।
घर के भीतर का मंजर देखने के बाद घरेलु नौकरानी राजी बदहवास अवस्था में चिल्लाती हुई घर से बाहर भागी ,और आसपास के लोगो को घटना की जानकारी दी। मृतक जय सिंह के घर के नजदीक रहने वाले उनके भाई अजीत सिंह तत्काल मौके पर पहुंचे और उन्होंने हत्याकांड की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने तत्काल मौके से हरमीत को कत्ल में प्रयोग हुए चाकू के साथ मौके से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने लगभग तीन महीने बाद हरजीत सिंह के खिलाफ न्यायलय में चार्जशीट दाखिल की। आत्मा को हिलाकर रख देने वाले इस मुकदमे में में कुल 21 गवाह पेश हुए। इन्हीं के आधार पर हरमीत सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 316 (गर्भस्थ शिशु की हत्या करना) में दोषी ठहराया गया। हत्याकांड के लिए दोषी हरमीत सिंह ने पकड़े जाने के बाद स्वयं को दिमागी रूप से मानसिक बीमार भी बताया था, लेकिन डॉक्टरों की जांच के बाद उसका यह दावा गलत साबित हुआ था।