उड़न सिख के नाम से लोकप्रिय प्रसिद्ध धावक पद्मश्री मिल्खा सिंह का देर रात शुक्रवार को कोरोना संक्रमण के चलते 91 वर्ष की आयु में देहांत हो गया। पिछले कुछ दिनों से पद्मश्री मिल्खा सिंह का स्वास्थ्य खराब चल रहा था। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद उन्हें फिर से बुखार एवं ऑक्सीजन के स्तर पर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने चंडीगढ़ पीजीआइ में रात्रि 11 : 30 अंतिम सांस ली। दुखद रूप से पांच दिन पूर्व उनकी धर्मपत्नी निर्मल मिल्खा सिंह की भी पोस्ट कोरोना की वजह से मृत्यु हुई थी।
खेलो को अपना जीवन समर्पित करने वाले पद्मश्री मिल्खा सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ट्वीट कर शोक सवेंदनाये प्रकट की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दुःख प्रकट करते हुए कहा, कि आज भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया है, जिसने राष्ट्र की कल्पना पर अधिकार कर लिया था और जिनके लिए भारतीय के हृदय में विशिष्ट स्थान था। उनके प्रेरणास्त्रोत व्यक्तित्व ने स्वयं को लाखों नागरिको के लिए प्रिय बना दिया था। उनके देहांत से दुखी हूँ।
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
दिवंगत उड़न सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह का बचपन अभावो में बीता। अंग्रेजो से मिली आजादी के बाद हुए बंटवारे के वक्त उनकी आँखों के सामने उनके परिजनों की हत्या कर दी गयी थी। भारतीय सेना में भर्ती के बाद उन्हें मिली ट्रेनिंग और अच्छे कोच के बदौलत मिल्खा सिंह के दौड़ने के सपनो को पंख मिल गए थे। दिवंगत मिल्खा सिंह द्वारा अपने खेल करियर के दौरान एशियाई खेलों के चार बार स्वर्ण पदक जीता। इसके के साथ मिल्खा सिंह द्वारा 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों में गोल्ड मैडल जीता था। हालाँकि उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1960 के रोम ओलंपिक में रहा जहां 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहने पर भी उन्होंने ऐसा राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया जो तकरीबन चालीस साल बाद टूटा।
दिवंगत मिल्खा सिंह द्वारा 1956 और 1964 के ओलंपिक उद्घाटन समारोह में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें वर्ष 1959 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। उड़न सिख मिल्खा सिंह के जीवन पर आधारित एक फिल्म का निर्माण 2013 में ‘भाग मिल्खा भाग’ नाम से किया गया था। फ्लाइंग सिख के नाम से लोकप्रिय मिल्खा सिंह का जन्म आजादी से पहले पाकिस्तान में हुआ। पकिस्तान में आजादी के बाद हुए सांप्रदायिक दंगो में किसी प्रकार अपनी जान बचाकर हिंदुस्तान आ गए थे। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह की प्रतिभा और तेज गति से दौड़ने की क्षमता को देखकर उन्हें ‘फ्लाईंग सिख’ के खिताब से नवाजा था।
‘फ्लाईंग सिख’ मिल्खा सिंह विभिन्न मंचो पर अक्सर इस बात को लेकर दुःख व्यक्त किया करते थे, कि भारतीय मिडिया में मात्र क्रिकेट के खेल को तवज्जो दी जाती है। जबकि क्रिकेट की प्रयोगिता में मात्र 12 – 14 देश ही भाग लेते है। वहीं एथलेटिक्स खेलो में दो सौ से अधिक राष्ट्र भाग लेते है,लेकिन उसे भारतीय मिडिया महत्वहीन समझ कर कोई खास तवज्जो नहीं देता है। ‘फ्लाईंग सिख’ मिल्खा सिंह का पूरा परिवार खेलो को समर्पित रहा है। उनकी स्वर्गीय पत्नी मिरमल कौर पूर्व भारतीय महिला वालीवाल टीम की कप्तान रह चुकी है। उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के गोल्फर है।