बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट बाद से हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाओं में बीते कुछ महीनों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यही कारण है, कि पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ हिंदू समाज की नाराजगी बढ़ती जा रही है। जो देश में बदलती सामाजिक और सियासी अस्थिरता को रेखांकित करता है।
इस क्रम में बीते शुक्रवार के बाद शनिवार को भी बाँग्लादेश के चटगाँव में 30 हजार से अधिक हिंदू प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर विशाल जुलुस निकालकर अपनी सुरक्षा की माँग की है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया, कि पूर्व की शेख हसीना सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद से उन्हें हिंसा और धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने मोहम्मद यूनुस सरकार से हिंदू नेताओं पर लगाए गए राजद्रोह के आरोप वापस लेने की भी माँग की।
गौरतलब है, कि राजद्रोह का सामना 19 हिंदू नेताओं को करना पड़ रहा है, जिनमें से कुछ को हिरासत में भी लिया गया है। दरअसल, ये आरोप तब लगे जब एक रैली के दौरान एक भगवा झंडा बांग्लादेश के झंडे के ऊपर फहराने की घटना हुई, जिसे सरकारी ध्वज का अपमान माना गया। हालाँकि हिंदू नेताओं का कहना है, कि ये आरोप झूठे हैं और उनका उद्देश्य केवल अल्पसंख्यक समुदाय को भयभीत करना है। जिससे सरकार के इरादों पर सवाल उठ रहे हैं।
Protection For Hindus Demanded By Thousands At Bangladesh Protests
Around 30k Hindus rallied in Chattogram, demanding protection from attacks and harassment & calling for sedition charges against community leaders to be dropped.
pic.twitter.com/EOgZ3xT68n— RT_India (@RT_India_news) November 2, 2024
इसी बीच इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव मोहम्मद यूनुस सरकार में लगातार बढ़ता जा रहा है। जो मुल्क में रह रहे अल्पसंख्यक समाज के लिए बेहद चिंता की बात है। यूनुस सरकार में इस्लामिक कट्टरपंथियों को कानूनी कवच दे दिया है। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के दौरान हुए प्रदर्शनों और हिंदुओं को निशाना बनाने वाली हिंसक घटनाओं में शामिल ऐसे कट्टरपंथियों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं किये जाने के निर्देश दिए गए है।
बता दें, कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की जनसंख्या कुल आबादी की 8 फीसदी है। यही वजह है, कि मुल्क में हिंदू अल्पसंख्यकों की घटती आबादी और उनके धार्मिक स्थलों और संपत्तियों पर हमलों की घटनाएँ बांग्लादेश में एक बड़े संकट का संकेत देती है।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि कट्टरपंथी इस्लामी सरकार के अधीन सांप्रदायिक ताकतें मुल्क में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं हो रही है।