उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह ने एक लम्बी राजनीतिक पारी खेली है। कल्याण सिंह भाजपा की राजनीति में प्रखर हिन्दुत्व एवं राष्ट्रवादी चेहरे के तौर पर उभरे। प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या आंदोलन को धार देने के लिए उन्होंने सत्ता को ठोकर मारकर मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र तक दे दिया था।
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पूर्व कल्याण सिंह द्वारा अपने सहयोगियों के साथ राम मंदिर निर्माण की शपथ ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस में उनकी भूमिका पर उन्होंने कभी कोई खेद प्रकट नहीं है। कल्याण सिंह के सदैव यही विचार रहे, कि बाबरी मस्जिद विध्वंस जरुरी था। साल 1998 में उनकी सरकार ने बाबरी मस्जिद विध्वंस में आंदोलनकारियों पर लगे सभी आरोप वापस ले लिए थे।
प्रखर हिन्दुत्व की छवि वाले कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का जन्म एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी और माता का नाम सीता देवी था। बचपन से ही कल्याण सिंह का झुकाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से रहा एवं वह संघ की शाखाओ में नियमित जाने लगे। गरीब किसान परिवार और अभावो में जीवन व्यतीत करने के बावजूद भी कल्याण सिंह ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर अध्यापक की नौकरी की। इसके साथ -साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओ में राष्ट्रप्रेम और राजनीति के गुण भी सीखते रहे।
वर्ष 1967 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य के लिए चुने गए और वर्ष 1980 तक सदस्य रहे। इसके बाद जून 1991 में भाजपा बीजेपी को विधानसभा चुनावों में जीत मिलने के बाद कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। अयोध्या आंदोलन के दौरान बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
यहीं से भाजपा को कल्याण सिंह के रूप में हिंदुत्ववादी चेहरा मिल गया। साल 1997 में भाजपा द्वारा फिर से राज्य का मुख्यमंत्री बनाये गये और वर्ष 1999 तक वह इस पद पर बने रहे। भाजपा के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव का दामन थाम लिया। मुलायम सिंह की पार्टी के समर्थन से कल्याण सिंह 2009 चुनाव में एटा से निर्दलीय सांसद चुने गये। परंतु चुनाव में मिली असफलता के बाद समाजवादी पार्टी में हुए कलेश के बाद मुलायम सिंह यादव ने कल्याण सिंह से नाता तोड़ लिया।
कल्याण सिंह ने इसके बाद ‘राष्ट्रीय क्रांति पार्टी’ का गठन किया। उनका राजनितिक संगठन साल 2012 के विधानसभा चुनाव में कुछ विशेष सफलता अर्जित नहीं कर पाया। साल 2013 में कल्याण सिंह का भाजपा में पुनः प्रवेश हुआ। 2014 में देश में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद कल्याण सिंह द्वारा 4 सितंबर 2014 को राजस्थान के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। इसके साथ ही 28 जनवरी 2015 से 12 अगस्त 2015 तक उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
वर्तमान में कल्याण सिंह की सेहत के हालत नाजुक बने हुए है। उनका उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में उनका उपचार चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, कल्याण सिंह स्वयं सांस नहीं ले पा रहे हैं, जिसकी वजह से उनके फेफड़ों और खून में पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। फेफड़े, दिल, गुर्दा, लिवर की पर दबाव बढ़ गया है। इसका असर मस्तिष्क पर भी पड़ रहा है, इसलिए उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।