जो देश चीन के कर्ज के चक्रव्यूह में फंसता है, चीन उसे दाने-दाने का मोहताज बना देता है, इसका ताजा उदहारण श्रीलंका में देखने को मिल रहा है। चीन की उधारी के चक्कर में श्रीलंका की हालत पतली हो गई है। खबरों के अनुसार, श्रीलंका में महंगाई ने सारे आंकड़े ध्वस्त कर दिए है। हालात इतने बदतर है, कि निचले तबके के लोगों को अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी संघर्ष कर रहा है। श्रीलंका की आर्थिक बदहाली से मजबूर नागरिक पेट भरने के लिए अब भारत की ओर रुख कर रहे है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते मंगलवार (22 मार्च) को सोलह से अधिक श्रीलंकाई नागरिक समुद्र के रास्ते तमिलनाडु पहुंचे थे। रिपोर्ट के अनुसार, ये लोग मन्नार और जाफना के बताये जा रहे है। तमिलनाडु राज्य के खुफिया अधिकारियों के अनुसार, ये तो बस शुरुआत है। अंदाजा लगाया जा रहा है, कि पिछले कुछ हफ्तों में भारत में दो हजार शर्णार्थी आये है। श्रीलंका की राजनैतिक पार्टी एलम पीपुल्स रेवोल्यूशनरी लिबरेशन फ्रंट के नेता सुरेश प्रेमचंद्रन ने कहा है, कि चरम पर पहुंची महंगाई के कारण मजदूर संघर्षरत हैं। अगर श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था स्थिर नहीं होती है, तो और अधिक लोग देश छोड़ सकते है।
विस्तारवादी नीतियों का समर्थक चीन दुनिया के कमजोर देशों को कर्ज देकर अपने अधीन करने की बदनीयत से उन्हें अंदर से खोखला कर देता है। चीन ने पिछले कुछ सालों में श्रीलंका ही नहीं है, पाकिस्तान, युगांडा समेत कई अन्य छोटे देशो को अपने कर्ज के जाल में फसाया है। चीन ने श्रीलंका को भारी भरकम कर्ज का लालच देकर उनके देश में सड़क, पुल, बंदरगाह, एयरपोर्ट, औद्योगिक शहर और एलएनजी इत्यादि को विकसित करने के निवेश प्रस्तावों के नाम से प्रवेश किया। हालाँकि श्रीलंका विकास पथ पर कितना आगे बढ़ा इसकी न्यूज कम आई, किन्तु विश्व में कर्जदारों की सूची में श्रीलंका ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
उल्लेखनीय है, कि चीन का श्रीलंका के ऊपर 5 बिलियन डॉलर (₹381869000000) का कर्जा है। इन सब के बावजूद श्रीलंका ने पिछले साल अपने गंभीर वित्तीय संकट के मद्देनजर बीजिंग से अतिरिक्त 1 अरब डॉलर का ऋण लिया था, जिसका भुगतान किस्तों में किया जा रहा है। वहीं खबर आ रही है, कि चीन फिर से श्रीलंका को 1.5 बिलियन (₹114546450000) नया कर्ज देने पर विचार कर रहा है। श्रीलंका के वित्त मंत्रालय के अनुसार, श्रीलंका को 50 करोड़ डॉलर तक का भुगतान इस वर्ष चीन को करना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीलंका की वित्तीय स्थिति इतनी ख़राब है, कि श्रीलंका की सरकार के पास कागज-कलम की भी भारी किल्लत है। इसी कमी के कारण पिछले कुछ हफ्तों में श्रीलंकाई सरकार को स्कूल की परीक्षाएं निरस्त करनी पड़ी थी। इस आर्थिक आपदा के चलते लगभग 45 लाख छात्र प्रभावित हुए थे। बताया जा रहा है, कि रसोई गैस कि भारी कमी के चलते श्रीलंका की करीब हजार से ज्यादा बेकरी की दुकानों में ताले लग गए है। श्रीलंका में दूध की कीमत करीब 2000 रुपए के पार हो गई है ,जबकि चावल-चीनी भी 290 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रहा है।
Sri Lanka cancelled exams for millions of school students as the country ran out of printing paper with Colombo short on dollars to finance imports, officials said Saturday.
4.5 million students life❓
What's this bro ?♂️ #SriLankaEconomicCrisis #absenceofltte pic.twitter.com/tjHdWm8pbU— Dr.Gokula priyan (@DrGokulapriyan1) March 20, 2022
उल्लेखनीय है, कि इस मुश्किल वक्त में भारत श्रीलंका को आर्थिक सहायता कर एक अच्छे पड़ोसी का धर्म निभा रहा है। भारत की सूची में अपने पड़ोसी देशों की मदद सदैव प्राथमिकता में रहा है। इसी के चलते भारत ने जनवरी के बाद से श्रीलंका की 2.4 बिलियन डॉलर (₹183206760000) की सहायता की है। वहीं 17 मार्च को भी भारत ने श्रीलंका को 1 अरब डॉलर (₹76336150000) की ऋण सुविधा प्रदान करने का ऐलान किया है। हालाँकि श्रीलंका ने अपनी गंभीर वित्तीय स्थिति से निपटने के लिए भारत की तरह कई देशों से भी कर्ज लिया है, लेकिन चीन का कर्ज श्रीलंका के ऊपर पहले से इतना ज्यादा है, जो उसे भीतर से लगातार खोखला कर रहा है।