प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार (18 सितंबर 2023) को पुराने संसद भवन में कार्यवाही के अंतिम दिवस पर लोकसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, कि हम भले ही नए भवन में जा रहे है, लेकिन पुराना भवन पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन के निर्माण के संबंध में कहा, कि इसको बनाने का निर्णय विदेशियों का था, लेकिन इसको बनाने में लगा परिश्रम, पसीना और पैसा भारत के लोगों का था।
इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था।
लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में परिश्रम, पसीना और पैसा मेरे देशवासियों का लगा था।
हम भले ही नए भवन में जाएंगे।
लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा
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सोमवार संसद के विशेष सत्र में आजादी के बाद 75 साल की उपलब्धियों पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा, वर्तमान सांसदों के लिए यह विशेष सौभाग्य का अवसर है, क्योंकि हमें इतिहास और भविष्य दोनों की कड़ी बनने का अवसर मिल रहा है। कल और आज से जुड़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आज का दिन उन पुरानी स्मृतियों का याद करने का समय दिया, उसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं। मैं इस धरती को, सदन को प्रणाम करता हूं।
संसद भवन पर वर्ष 2001 में हुए आतंकी हमले को प्रधानमंत्री मोदी ने लोकतंत्र और देश की आत्मा पर हमला करार देते हुए कहा, लोकतंत्र का ये सदन, आतंकी हमला हुआ। यह हमारी जीवात्मा पर हमला था, ये देश कभी उसे भूल नहीं सकता। जिन्होंने सदस्यों को बचाने के लिए अपने सीने पर गोलियां झेलीं, आज मैं उनकों भी नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि चंद्रयान-3 की सफलता से पूरा भारत ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व अभिभूत है। उन्होंने सदन के माध्यम से देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को बधाई दी और उनका अभिनन्दन किया। पीएम मोदी ने कहा, “कल गणेश चतुर्थी का पावन पर्व है। गणेश जी विघ्नहर्ता माने जाते हैं। अब भारत की विकास यात्रा में कोई विघ्न नहीं रहेगा, अब निर्विघ्न रूप से सारे संकल्प और सपनें भारत परिपूर्ण करेगा। इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन ये नव प्रस्थान नए भारत के सारे सपनों को चरितार्थ करने वाला बनेगा।”
चंद्रयान-3 की सफलता से आज पूरा देश अभिभूत है।
इसमें भारत के सामर्थ्य का एक नया रूप जो आधुनिकता, विज्ञान, technology, हमारे वैज्ञानिकों और जो 140 करोड़ देशवासियों के संकल्प की शक्ति से जुड़ा हुआ है।
वो देश और दुनिया पर नया प्रभाव पैदा करने वाला है।
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पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा, कि भारत के लोकतंत्र ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं और ये सदन, लोकतंत्र की ताकत हैं और लोकतंत्र का साक्षी है। इसी सदन में चार सांसदों वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सांसदों वाली पार्टी विपक्ष में होती थी। इसी सदन में एक वोट से सरकार गिरी थी। जब नरसिम्हा राव घर जाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इसी सदन की ताकत से वह अगले पांच साल के लिए देश के प्रधानमंत्री बने।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, वर्ष 2000 की अटल जी की सरकार में तीन राज्यों का गठन हुआ। जिसका हर किसी ने उत्सव मनाया, लेकिन एक राज्य तेलंगाना के गठन के समय खून-खराबा भी देखा। इसी सदन ने कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी को खत्म किया। इसी सदन के सदस्यों ने कोरोना काल में सांसद फंड का पैसा जनहित में दिया।
पुराने संसद भवन में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में काम करने वाले कर्मचारियों के प्रति भी आभार जताया। उन्होंने कहा, “हम जनप्रतिनिधि अपनी-अपनी भूमिका निभाते है, लेकिन हमारे बीच एक टोली भी बैठती है, जिनकी भी कई पीढ़ियां बदल गई, जो हमें कागज पत्र पकड़ाने के लिए दौड़ते है। इनके काम ने भी सदन के कार्य में गुणवत्ता लाने में अहम भूमिका निभाई और मैं हृदय से उनका अभिनंदन करता हूं।
पीएम मोदी ने कहा, कि आज भारत में पूरा विश्व अपना मित्र खोज रहा है, यह हमारे संस्कारों का परिणाम है जो कि हमें विवेकानंद और वेदों से मिला है। उन्होंने पुराने संसद भवन को छोड़ने वाले पल को काफी भावुक करने वाला बताया। पीएम मोदी ने कहा, कि यहाँ हमारे खट्टे-मीठे अनुभव रहे है। उन्होंने कहा, कि संघर्ष और गौरव का माहौल रहा है, जो कि हमारी साझी विरासत है। प्रधानमंत्री ने कहा, यह देश के सामान्य मानव की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा है, कि एक चाय बेचने वाला बच्चा पार्लियामेंट पहुँच गया।
हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत 'विश्व मित्र' के रूप में अपनी जगह बना पाया है।
आज पूरा विश्व, भारत में अपना मित्र खोज रहा है, भारत की मित्रता का अनुभव कर रहा है।
– प्रधानमंत्री श्री @narendramodi
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि सदन की संरचना समय के साथ बदली है और इसमें सभी वर्गों के लोग आज शामिल हैं और यहाँ पूर्ण रूप से समावेशी वातावरण है। पीएम मोदी ने कहा, आज जब हम इस सदन को छोड़ रहे हैं, तो मैं उन पत्रकारों को भी नमन करता हूं, जिन्होंने यहां की पल-पल की जानकारी देश को उपलब्ध कराई। उनका सामर्थ्य था, कि वह अंदर की बात भी पहुंचाते थे और अंदर के अंदर की बात भी पहुंचाते थे।