महज दस वर्ष की उम्र में कोलकत्ता के रेयांश ने ‘एस्ट्रो फिजिक्स’ जैसे कठिन विषय पर किताब लिखकर सबको हैरान कर दिया है। दस वर्षीय नन्हे लेखक की पुस्तक का नाम ‘द यूनिवर्स : द पास्ट, द प्रेजेंट एंड द फ्यूचर’ है। रेयांश ने बताया कि जब वह लगभग पांच साल का था, उस उम्र से ही उसे अंतरिक्ष में दिलचस्पी होने लगी थी। लेखक ने बताया, कि मैं अक्सर रात्रि के समय आसमान की ओर देखता और खुद के अंदर पैदा होने वाले खगोलीय प्रश्नो के उत्तर ढूंढ़ता।
जिस उम्र में अधिकतर बच्चे वीडियो गेम और टीवी में कार्टून शो देखकर अपना मनोरंजन करते है, उस उम्र में खगोलीय रहस्यों के उत्तर ढूंढने के लिए रेयांश ने विभिन्न लेखकों की अलग-अलग खगोलीय पुस्तकों को पढ़ना शुरू किया और अधिक जानकारी के लिए कई अंतरिक्ष एवं ब्रह्माण्ड रचना से जुड़े वीडियो देखे।
वर्ष 2019 में 7 वर्ष कि आयु में रेयांश ने खगोलीय पुस्तकों और स्पेस वीडियो से जानकारी प्राप्त करने के बाद खुद के द्वारा की गई रिसर्च को एक पुस्तक में संकलित करने का निर्णय लिया। दस वर्षीय लेखक रेयांश की किताब विज्ञान और खगोल भौतिकी के महत्व के बारे में है।
रेयांश की माता सोहिनी राउत द्वारा कहा गया,कि रेयांश ने महज पांच साल की आयु में टैब के साथ खेलना शुरू कर दिया था। अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान में उसने फिजिक्स के सिद्धांतों के बारे में घरवालों से बात करना शुरू कर दिया था। हालाँकि घरवालों को भौतिकी की अधिक जानकारी ना होने के कारण हम उसे फिजिक्स के शिक्षक के पास ले गए।
शिक्षक द्वारा बताया गया, कि रेयांश खगोलीय दर्शन पर जो भी कह रहा है, वह एकदम सही था। पाइथागोरस प्रमेय से लेकर ब्लैक होल सिद्धांत पर रेयांश द्वारा अर्जित जानकारी उसके परिजनों के लिए भी अविश्वसनीय है। नन्हे रेयांश ने उस वक्त अपनी माता से कहा था कि वह एक पुस्तक लिखेगा और रेयांश ने अपने ज्ञान और मेहनत के दम पर पूरी किताब खगोलीय भौतिकी पर लिख डाली।
दस वर्ष लेखक रेयांश ने अपनी पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि “मैंने यह किताब स्वयं के पास मौजूद ज्ञान को दूसरो तक प्रसारित करने के लिए लिखी है। लेखक रेयांश ने कहा, कि उनकी पुस्तक जरुरी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां, ब्रह्मांड अनुसंधान एवं अंतरिक्ष के बारे में विभिन्न रोचक तथ्यों की खोज पर आधारित है। रेयांश ने कहा, कि हमें अपनी मानव सभ्यता के विकास के लिए अन्य ग्रहों तक फैलने और नई आधुनिक तकनीकों पर कार्य करने की जरुरत है। अन्यथा आने वाले समय में पूरी पृथ्वी ग्लोबल वार्मिंग या बाढ़ के प्रकोप से समाप्त हो जाएगी।