प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (2 सितंबर 2022) को राष्ट्र के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ‘आईएनएस विक्रांत’ को भारतीय नौसेना को सौंपा। उल्लेखनीय है, इसका नामकरण 31 जनवरी 1997 को भारतीय नेवी से रिटायर एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत पर किया गया है। बता दें, INS विक्रांत ने वर्ष 1971 की जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, वहीं अब इसके नए संस्करण से दुश्मन देशों के दिलों की धड़कने तेज हो गई है।
INS विक्रांत नौसेना एयरक्राफ्ट कैरियर पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से निर्मित है। इसके साथ अब वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए है। INS विक्रांत के अलावा INS विक्रमादित्य भी भारत के पास पहले से ही मौजूद है। INS विक्रांत के नए संस्करण से हिंद महासागर में भारत की ताकत में बढ़ोतरी हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहा, इससे पहले के समय में इंडो-पैसिफिक रीजन और इंडियन ओशन में सुरक्षा चिंताओं को एक लंबे वक्त तक नजरंदाज किया जाता रहा, लेकिन आज ये क्षेत्र हमारे लिए देश की बड़ी रक्षा प्राथमिकता में शामिल है। इसलिए हम नौसेना के लिए बजट को बढ़ाने से लेकर उसकी क्षमता में बढ़ोतरी के लिए, हर दिशा में कार्य कर रहे है।
पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में कहा, कि बूंद-बूंद जल से जैसे विराट समंदर बन जाता है। वैसे ही भारत का एक-एक नागरिक ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र को अपनाकर जीवन जीना आरंभ कर देगा, तो राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनने में अधिक वक्त नहीं लगेगा। पीएम मोदी ने कहा, कि विक्रांत भव्य और विशाल है, विक्रांत भिन्न है, और विक्रांत विशेष है। उन्होंने कहा, कि विक्रांत मात्र एक युद्धपोत नहीं है, बल्कि यह 21वीं सदी के भारत के कड़े परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है।
विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। pic.twitter.com/8AIVbIOhci
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2022
उल्लेखनीय है, कि INS विक्रांत का निर्माण कार्य फरवरी 2009 में शुरू हुआ था। सर्वप्रथम विक्रांत को अगस्त 2013 में पानी में उतारा गया। इस एयरक्राफ्ट कैरियर का बेसिन ट्रायल नवंबर 2020 में शुरू हुआ, और इसके बाद जुलाई 2022 में इसका समुद्री परिक्षण पूरा हुआ। ट्रायल पूरा होने के बाद जुलाई 2022 में कोचीन शिपयार्ड ने इसे नौसेना को सौंप दिया। इसके निर्माण में लगभग 20 हजार करोड़ की लागत आई है। इस युद्धपोत के अलग-अलग उपकरण 18 राज्यों में बने है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर में 76 फीसदी स्वदेशी सामान का इस्तेमाल किया गया है, और ये युद्धपोत एक पूरी टाउनशिप जितनी बिजली आपूर्ति करने में सक्षम है।