अरब सागर में अपना सैन्य दबदबा बढ़ाने और समुद्री सीमा पर दुश्मन देशों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप के अगाती और मिनिकॉय द्वीपों पर दो मिलिट्री एयरफील्ड्स बनाने की मंजूरी दे दी है। समुद्री सीमा पर बढ़ती चीन की गतिविधियों के बीच लक्षद्वीप में दो सैन्य हवाई क्षेत्र बनाने की इस योजना को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार ने बीते गुरुवार 18 जुलाई को एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रस्तावों को मंजूरी दी। सैन्य मामलों के विभाग के नेतृत्व में तीनों सेनाओं का प्रस्ताव मिनिकॉय द्वीप में एक नया एयरबेस बनाने और भारत के पश्चिमी हिस्से में अरब सागर स्थित अगाती द्वीप पर मौजूदा एयरफील्ड का विस्तार करने का है। इन हवाई हवाई अड्डों का उपयोग नागरिक एयरलाइनों द्वारा भी किया जाएगा। बता दें, कि मिनिकॉय द्वीप मालदीव की सीमा से महज 50 मील की दूरी पर स्थित है।
गौरतलब है, कि यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया गया है, जब पड़ोसी देश चीन की नौसेना हिंद महासागर में अपनी संदिग्ध गतिविधियां बढ़ा रही है और इस क्षेत्र में पाकिस्तानी नौसेना के साथ मिलकर काम कर रही है। अब इन दोनों एयर स्ट्रिप के निर्माण के बाद भारत का दबदबा समुद्री सीमा में मजबूत हो जायेगा और वो आस-पास के क्षेत्रों पर भी निगरानी में सक्षम हो जाएगा। इन एयर स्ट्रिप का इस्तेमाल सेना के तीनों अंगों के साथ ही तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड) भी करेगा। कोस्ट गार्ड ने ही इन पट्टियों को बनाने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को दिया था।
ऑपइंडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत सरकार द्वारा पास किए गए प्रस्ताव के अनुसार, मिनिकॉल हवाई पट्टी का उपयोग मुख्य रूप से भारतीय वायु सेना करेगी। मिनिकॉय में हवाई अड्डा रक्षा बलों को अरब सागर में निगरानी के अपने क्षेत्र का विस्तार करने की क्षमता भी प्रदान करेगा। मिनिकॉय में हवाई अड्डा क्षेत्र में पर्यटन की गतिविधियों को भी प्रोत्साहित करेगा। ये हवाई पट्टियाँ सैन्य और नागरिक दोनों तरह की उड़ानों के लिए किया जायेगा।