ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी की एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई है। यह हादसा अजरबैजान के सीमावर्ती शहर जोल्फा के नजदीक हुआ, जो ईरान की राजधानी तेहरान से 600 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ईरानी मीडिया ने दावा किया है, कि सेना को दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का मलबा मिल गया है और राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते रविवार को इब्राहिम रईसी और कई ईरानी अधिकारियों को ले जा रहा हेलीकॉप्टर एक ग्रामीण इलाके में हादसे का शिकार हो गया था। हादसे की वजह खराब मौसम को बताया जा रहा है। इस हवाई दुर्घटना में राष्ट्रपति रईसी के अलावा विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर मालेक रहमती और धार्मिक नेता मोहम्मद अली आले-हाशेम की भी मौत हो गई है।
राष्ट्रपति रईसी की मौत पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स पोस्ट (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “इस्लामी रिपब्लिक ईरान के राष्ट्रपति डॉ. सैयद इब्राहिम रईसी के दुखद निधन से गहरा दुख और सदमा लगा है। भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी हृदय से संवेदना। दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है।”
Deeply saddened and shocked by the tragic demise of Dr. Seyed Ebrahim Raisi, President of the Islamic Republic of Iran. His contribution to strengthening India-Iran bilateral relationship will always be remembered. My heartfelt condolences to his family and the people of Iran.…
— Narendra Modi (@narendramodi) May 20, 2024
बता दें, कि हवाई दुर्घटना में मारे गए 63 वर्षीय इब्राहिम रईसी 2021 में चुनाव जीत कर ईरान के 13वें राष्ट्रपति बने थे। इससे पहले 2017 में वह राष्ट्रपति चुनाव हार चुके थे। कट्टरपंथी नेता माने जाने वाले रईसी 2019 में ईरान के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके है। रईसी ईरान के आयतुल्लाह खुमैनी और आयतुल्लाह खामनेई दोनों नेताओं के बेहद करीबी माने जाते थे।
मूलरूप से ईरान के मश्दाद के रहने वाले इब्राहिम रईसी ने 1979 में ईरान में हुए तख्तापलट में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। रईसी को सेना, न्यायपालिका और IRGC का बेहद करीबी माना जाता था। ईरान के वर्तमान सुप्रीम लीडर आय्तोल्लाह खामनेई के उत्तराधिकारी के रूप में उन्हें ही देखा जाता था। उनकी मौत ईरान, इस्राइल, भारत और वैश्विक स्तर की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।
उल्लेखनीय है, कि हाल ही में भारत ने चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए ईरान के साथ एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किये है, जो मध्य एशिया के साथ व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक पहल है। पहली बार 2003 में भारत द्वारा इस संबंध में ईरान का को प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन संदिग्ध परमाणु गतिविधियों के चलते ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों से यह समझौता एक लंबे वक्त तक बाधित रहा।