भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बीते रविवार (27 मार्च 2023) को एक और सफलता प्राप्त की है। इसरो ने अपने अब तक के सबसे भारी भरकम एलवीएम-3 राकेट के जरिये ब्रिटेन स्थित वनवेब समूह कंपनी के 36 उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। इसरो के 43.5 मीटर लंबे राकेट को चेन्नई से लगभग 135 किमी दूर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लांच पैड से रविवार सुबह नौ बजे प्रक्षेपित किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को सफल प्रक्षेपण के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा, यह आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर है, और वैश्विक वाणिज्यिक लांच सेवा प्रदाता के रूप में भारत की अग्रणी भूमिका को मजबूती से दर्शाती है।
Congratulations @NSIL_India @INSPACeIND @ISRO on yet another successful launch of LVM3 with 36 @OneWeb satellites. It reinforces India’s leading role as a global commercial launch service provider in the true spirit of Aatmanirbharta. https://t.co/GflGAN2Wlr
— Narendra Modi (@narendramodi) March 26, 2023
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एलवीएम-3-एम3-वनवेब इंडिया-2 मिशन के सफल प्रक्षेपण के लिए एनएसआईएल,इसरो और वनवेब को बधाई दी। इसरो के अध्यक्ष ने कहा, कि इसी तरह के राकेट का उपयोग मनुष्य को अंतरिक्ष में पहुंचाने के महत्वकांक्षी गगनयान मिशन के लिए किया जायेगा। उल्लेखनीय है, कि गगनयान मिशन के अंतर्गत तीन अंतरिक्ष यात्री 400 किलोमीटर ऊँची कक्षा में जायेंगे और सुरक्षित वापस जल सीमा में उतरेंगे।
इसरो ने अपने अधिकाकारिक ट्विटर अकॉउंट पर जानकारी दी, एलवीएम-3-एम3-वनवेब इंडिया-2 मिशन पूरा हो गया है। सभी 36 वनवेब जेन-1 उपग्रहों को निर्धारित कक्षाओं में स्थापित कर दिया गया है। एलवीएम-3 अपने लगातार छठे प्रक्षेपण में पृथ्वी की निचली कक्षा में 5,805 किलोग्राम पेलोड लेकर गया है।
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— ISRO (@isro) March 26, 2023
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 805 किलोग्राम वजनी राकेट ब्रिटेन (UK) स्थित नेटवर्क एक्सेस एसोसिएटेड लिमिटेड (वनवेब) के 36 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में ले गया है। इससे पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में उपग्रहों के समूह की पहली पीढ़ी पूरी हो जाएगी। लो अर्थ ऑर्बिट पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा होती है। इसरो के अनुसार, इस प्रक्षेपण से विश्व के हर हिस्से में स्पेस आधार ब्रॉडबैंड इंटरनेट योजना में सहायता मिलेगी।