कश्मीरी पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्त्ता याना मीर ने ब्रिटेन की संसद में बोलते हुए पाकिस्तानी की एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई से अपनी तुलना को सिरे से खारिज करते हुए कहा, कि मैं मलाला नहीं हूँ, जिन्हें आतंकवाद की दहशत के कारण अपना मुल्क छोड़कर दूसरे देश में शरण लेनी पड़ी। उन्होंने कहा, वह अपने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षित महसूस करती है।
पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ फैलाये जा रहे प्रोपेगंडे की हवा निकालते हुए उन्होंने कहा, “मैं मलाला यूसुफजई नहीं हूँ क्योंकि मैं आजादू हूँ, अपने देश भारत में, अपने घर कश्मीर में, जो भारत का अभिन्न अंग है। मैं यह कह सकती हूँ, कि मुझे कभी भी अपने देश से भागकर आपके देश में शरण लेने की नौबत नहीं आएगी।
याना मीर ने कहा, “मैं कभी भी मलाला यूसुफजई नहीं बनूँगी, लेकिन मैं मलाला द्वारा मेरे देश और मेरी प्रगतिशील मातृभूमि कश्मीर को उत्पीड़ित कहकर बदनाम करने की साजिश से आपत्ति जताती हूँ। मुझे सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के ऐसे सभी टूलकिट सदस्यों से आपत्ति है, जिन्होंने कभी कश्मीर जाने की परवाह नहीं की, लेकिन उत्पीड़न की कहानियाँ गढ़ते रहते हैं।”
मैं मलाला नहीं हूं कि अपने देश से भाग जाऊंगी।
मैं अपने कश्मीर और अपने देश में सुरक्षित हूं।
मैं अपना देश भारत छोड़कर कभी नहीं भागूंगी।
: याना मीर, कश्मीरी पत्रकार, ब्रिटिश पार्लियामेंट में pic.twitter.com/kahBULmkls
— Panchjanya (@epanchjanya) February 22, 2024
उन्होंने कहा, मैं आप सब लोगो से धर्म के आधार पर भारतीयों का ध्रुवीकरण बंद करने का आग्रह करती हूं। हम आपको हमें बांटने की अनुमति नहीं देंगे। इस साल संकल्प दिवस के मौके पर मुझे उम्मीद है, कि ब्रिटेन और पाकिस्तान में रहने वाले अपराधी अंतरराष्ट्रीय मीडिया या अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार के मंचों पर मेरे देश को बदनाम करना बंद कर देंगे। उन्होंने कहा, ब्रिटेन में अपने कमरे से रिपोर्टिंग करके भारतीय समाज का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करना बंद करें।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कश्मीरी पत्रकार याना मीर ने ब्रिटेन की संसद में आयोजित ‘संकल्प दिवस’ के कार्यक्रम में अपनी बात रखी। यह कार्यक्रम जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर, यूके (जेकेएससी) ने आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में ब्रिटेन संसद के सदस्य, स्थानीय पार्षद, सामुदायिक नेता और बहुत लोग शामिल थे।
बता दें, कार्यक्रम के दौरान याना मीर ने जिस मलाला का जिक्र किया है, वो एक पाकिस्तानी एक्टिविस्ट हैं और उन्हें नोबेल प्राइज भी दिया जा चुका है। दरअसल मलाला किसी समय पाकिस्तान के स्वात इलाके में रहती थीं। तालिबानियों ने उनके सिर में गोली मार दी थी। ब्रिटेन में उनका एक लंबे समय तक इलाज चला और ठीक होने के बाद वह वही बस गई।