कर्नाटक हिजाब विवाद मामले पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ठता से कहा, कि जिन लोगों को शैक्षिक संस्थानों में यूनिफॉर्म पहनकर आना पसंद नहीं है, वे छोड़ के जा सकते है। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने न्यूज 18 मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा, कि स्कूल और कॉलेज में अनुशासन बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा, कि अनुशासन को तोड़ने का प्रयास नहीं करना चाहिए, क्योंकि अनुशासन शैक्षिणिक संस्थानों का प्रमुख स्तंभ है।
#ArifMohammedKhanToNews18
आप एक नहीं चार हिजाब पहनिए पर सवाल ये है कि आप जिस संस्था में हैं उसका अनुशासन मानेंगे या नहीं मानेंगे: आरिफ़ मोहम्मद ख़ान #SuperExclusive #HijabRow @KishoreAjwani @KeralaGovernor pic.twitter.com/mLtrq3S5Zv— News18 India (@News18India) February 11, 2022
विद्यार्थियों को सियासी, गुप्त उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने न्यूज 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा, कि अनुशासन के बिना तो जिंदगी चल ही नहीं सकती है। राज्यपाल ने कहा, कि पढ़ने वाली छात्राओं को संस्थान के ड्रेस कोड के बारे में पहले से जानकारी थी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने जानबूझकर शिक्षण संस्थानों में दाखिला लिया था। उन्होंने कहा, कि विद्यार्थियों को कुछ सियासी, गुप्त उद्देश्यों को हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
परिधान में शालीनता, सभ्यता और संस्कृत जरूरी
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपनी बात रखते हुए कहा, कि मेरे विचार में, कौन क्या परिधान पहनता है, ये कभी भी विवाद का विषय नहीं होना चाहिए। यह प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, लेकिन शर्त सिर्फ इतनी है, कि वस्त्रों में शालीनता, सभ्यता और संस्कृति होनी चाहिए। जो सेना में कार्यरत है, वह यह नहीं कह सकता, कि मैं जो चाहूँगा वही पहनूँगा, और पुलिसकर्मी भी ये नहीं कह सकता, कि जो मैं चाहूँगा, वही पहन लूँगा।
कई चीजे धर्म में मजहब में जबरन जोड़ी गयी
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने न्यूज 18 को दिए इंटरव्यू में कहा, कि कई चीजें जबरन मजहब से जोड़ी गई है। तीन तलाक को भी मजहब से जोड़ा गया। हिजाब शब्द का उपयोग पर्दे के लिए किया गया है, पहनावे के लिए नहीं। पहनावे के लिए स्कार्फ होता है। हिजाब का मजहब से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन ये लोग उन बातों पर लड़ेंगे, जिनका कुरान में कोई उल्लेख नहीं है। ये वो लोग है, जो मानते सब कुछ है, लेकिन कहते है, कि हम इसके अनुसार आचरण नहीं करेंगे। हम तो अपनी मर्जी करेंगे।
कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक
जानकारी के लिए बता दें, बीते गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने छात्र – छात्राओं से कहा था, कि मामले के निपटारे तक वे शैक्षिणिक संस्थानों के परिसर में ऐसा कोई (हिजाब या भगवा स्कार्फ) पहनने पर जोर ना दे, जो लोगों को भड़का सकता है। इस निर्णय के बाद स्कूल- कॉलेज में धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगा दी गयी है, और शैक्षिक संस्थान को खोलने का आदेश दिया गया है। वहीं इस निर्णय के खिलाफ यूथ कांग्रेस प्रेसिडेंट श्रीनिवास बीवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तत्काल सुनवाई की मांग की थी।
#HijabRow: Karnataka HC says it will pass an order directing reopening of colleges, asks students not to insist on wearing such religious things till the disposal of the matter
Court says peace & tranquillity must be restored, adjourns the matter for Monday pic.twitter.com/PdtaAvED4n
— ANI (@ANI) February 10, 2022
हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट के खिलाफ दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट खारिज किया
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कांग्रेस नेता श्रीनिवास की याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार करते हुए कहा, कि आप इस याचिका में क्या मांग कर रहे है, क्या हाईकोर्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करना चाहते है। पीठ ने कहा, कि आप अभी प्रतीक्षा कीजिये। हाईकोर्ट मामला सुन रहा है। हाईकोर्ट द्वारा निर्णय लेने दीजिये, और उचित समय पर इस मामले पर सुनवाई होगी। कांग्रेस नेता द्वारा दायर याचिका में शैक्षिणिक संस्थानों में हिजाब पहनकर आने की मनाही करने वाले कर्नाटक सरकार के आदेश को रद्द करने की अपील की गई थी।