नब्बे के दशक के बहुचर्चित अजमेर सेक्स और ब्लैकमेल कांड में मंगलवार 20 अगस्त 2024 को बड़ा फैसला आया है। 1992 के अजमेर सेक्स स्कैंडल में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट के जज रंजन सिंह ने छह दोषियों को सजा सुनाई है। इन सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, साथ ही पांच-पांच 5-5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। बता दें, कि 32 वर्ष पुराने अजमेर सेक्स स्कैंडल को भारत के काले अध्यायों में से एक माना जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोर्ट ने इस मामले में नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन को दोषी ठहराया है। राजस्थान के अजमेर स्थित विशेष न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही थी। इकबाल भाटी को एम्बुलेंस के जरिए दिल्ली से अजमेर लाया गया, वहीं एक दोषी की सेहत खराब होने के कारण पेश नहीं किया जा सका।
Rajasthan: In Ajmer's largest blackmail case, six accused, including Nafees Chishti and Naseem alias Tarzan, were found guilty by the Special POCSO Act Court. They blackmailed over 100 girls with obscene photos from 1992 pic.twitter.com/pqwkoPo1fk
— IANS (@ians_india) August 20, 2024
ऑपइंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में 23 जून, 2001 को चार्जशीट दायर की गई थी। पॉक्सो कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई चल रही थी। बता दें, कि ये मामला 1992 का है जब 100 से भी अधिक लड़कियों के साथ न सिर्फ सामूहिक बलात्कार की घटनाएँ हुई थी, बल्कि उनकी नग्न तस्वीरें भी फैला दी गई थी। इस मामले में कुछ पीड़ित लड़कियों ने खुदखुशी भी की थी। मामले में अजमेर दरगाह के कुछ खादिमों की भूमिका भी सामने आई थी।
इस मामले में एक आरोपित अभी भी फरार चल रहा है, जिसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इतना ही नहीं, एक बड़े कारोबारी के बेटे तक के साथ कुकर्म किया गया था। फिर तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर उसे उसकी गर्लफ्रेंड के साथ पॉल्ट्री फार्म पर बुलाया और उसका गैंगरेप किया था। उस लड़की को न्यूड तस्वीरों के जरिए ब्लैकमेल कर सहेलियों को लाने का दबाव बनाया गया।
इस मामले में 18 आरोपितों पर ट्रायल चला था जिनके नाम क्रमशः – कलर लैब का मैनेजर हरीश डोलानी, फारूख चिश्ती, नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती, लैब डेवलपर पुरुषोत्तम उर्फ बबली, इकबाल भाटी, कैलाश सोनी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज, इशरत अली, परवेज अंसारी, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, नसीम उर्फ टार्जन, कलर लैब का मालिक महेश डोलानी, ड्राइवर शम्शू उर्फ माराडोना और जऊर चिश्ती है।
इन आरोपियों में से पांच अपनी सजा काट चुके हैं, जबकि 6 को आज मंगलवार को सजा सुनाई गई है। इशरत अली, अनवर चिश्ती, मोइजुल्लाह उर्फ़ पूतन इलाहाबादी और शमशुद्दीन उर्फ माराडोना की उम्रकैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने 10 वर्ष के कारावास में बदल दिया। इन्हें 2003 में सजा हुई थी, फ़िलहाल सभी रिहा हो गए हैं। परवेज अंसारी, महेश लोदानी, हरीश तोलानी और कैलाश सोनी को 1998 में निचली अदालत ने उम्रकैद दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया। वहीं पुरुषोत्तम उर्फ बबली 1994 में ही आत्महत्या कर चुका है।
1992 में जब अजमेर में स्कूली लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनके साथ बलात्कार के मामले सामने आये थे, तब स्थानीय साप्ताहिक समाचार पत्र ‘लहरों की बरखा’ चलाने वाले मदन सिंह ने इस पूरे मामले को मीडिया में उठाया था। जिनकी बाद में गोली मारकर हत्या कर दी गई। लगभग 30 साल बाद 7 जनवरी 2023 को इस दिवंगत पत्रकार के दो बेटों ने एक शख्स को गोलियों से भून दिया। उन्होंने मौके पर बताया था, कि अपने पिता की मौत का बदला ले लिया है।
उल्लेखनीय है, कि पिछले साल जुलाई में इस वीभत्स घटना पर आधारित फिल्म ‘अजमेर 92’ भी प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में सुमित सिंह, मनोज जोशी, करण वर्मा, राजेश शर्मा, जरीना वहाब और शालिनी कपूर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फिल्म का निर्देशन पुष्पेंद्र सिंह ने किया है। जबकि उमेश कुमार तिवारी और करण वर्मा ने मिलकर फिल्म को प्रोड्यूस किया है।