देवो के देव महादेव त्रिदेवों में से एक हैं और लय और प्रलय दोनों पर समान अधिकार रखते है। शिव का अर्थ कल्याणकारी माना जाता है। भगवान शिव की आराधना का महापर्व महाशिवरात्रि इस वर्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात 9:57 बजे शुरू होगी और 9 मार्च को शाम 6:17 बजे समाप्त होगी, चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में होती है, इसलिए 8 मार्च को ही यह महापर्व मनाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर 72 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। शिवयोग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग बन रहा है। साथ ही इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है जो मां मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस महासंयोग में भगवान शिव की पूजा और आराधना काफी फलदायी होगा।
महाशिवरात्रि के महापर्व के दिन भगवान शिव के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ उपवास रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है, कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर स्थित सभी शिवलिंग में साक्षात विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक शुभ फल प्राप्त होता है।
माना जाता है, कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन को शिव और शक्ति के मिलन के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में शिवरात्रि के दिन महादेव और माता गौरी की पूजा से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाया जाए, तो भक्त को मोक्ष प्राप्त होता है।
भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र को आवश्यक माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। वहीं, भगवान शिव को शमी के पत्ते, बेला के फूल और हरसिंगार के फूल चढ़ाए जाएं, तो भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।