अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में एक ऐसे रहस्यमयी चक्र की खोज की है, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया। यह चक्र इतना विलक्षण और विचित्र है, कि मात्र 18 मिनट दिखने के बाद यह स्वयं गायब हो जाता है, इसके चलते अंतरिक्ष वैज्ञानिक को इसकी पहचान का अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा है। शुरुवाती नतीजों में वैज्ञानिक इसे एलियन स्पेसशिप समझकर चिंता में पड़ गए थे, लेकिन फिलहाल वैज्ञानिक किसी आखिरी नतीजे में नहीं पहुंचे है।
धरती से चार हजार प्रकाश वर्ष दूर
ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान इस रहस्यमयी चक्र के बारे में पता लगाया, कि तेजी से परिक्रमा करने वाली यह चक्राकार आकृति धरती से तकरीबन चार हजार प्रकाश वर्ष दूरी पर स्थित है, जो दिखने में ना सिर्फ बेहद चमकदार है, बल्कि इसका चुंबकीय क्षेत्र बेहद मजबूत है। अंतरिक्ष वैज्ञानिको के शोध के अनुसार, यह चक्राकार आकृति प्रत्येक साठ मिनट में तीन बार भारी मात्रा में रेडियो ऊर्जा निकाल रही है।
रहस्यमयी चक्राकार आकृति की नहीं हुई पहचान
नेचर मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार, इस रहस्यमयी चक्राकार आकृति को हमारी आकाशगंगा में रेडियो वेव अनुसंधान के दौरान विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने पकड़ा था। यह चक्राकार आकृति ना तो कोई सुपरनोवा है, और ना ही कोई पल्सर, जिसके चलते फिलहाल इसका कोई नामकरण करना असंभव प्रतीत हो रहा है, हालांकि शोधकर्त्ता इसकी जांच – पड़ताल के लिए अधिक जानकारी जुटाने का कार्य कर रहे है।
सटीक वक्त पर गायब हुआ
ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय की रेडियो अनुसंधानकर्त्ता और इस रहस्यमयी चक्राकार आकृति की खोज करने वाले दल की मुखिया नताशा हर्ले-वॉल्कर का कहना है, यह रहस्यमयी आकृति इस प्रकार दिखती और फिर गायब हो जाती है, जैसे किसी शक्ति ने इस वस्तु का वक्त पहले से तय कर रखा हो। उन्होंने कहा, कि शोध के दौरान जब इस रहस्यमयी चक्राकार आकृति पर टीम ने लगातार नजर रखी, तो ज्ञात हुआ, कि यह अब तक सामने आयी सबसे भिन्न प्रकार की अंतरिक्ष चक्राकार आकृति है।
आज तक नहीं दिखी अंतरिक्ष में ऐसी आकृति
शोधकर्त्ताओं की टीम प्रमुख नताशा हर्ले-वॉल्कर के अनुसार, हालांकि अंतरिक्ष में पल्सर जैसे कई अन्य पिंड मौजूद है, जो दिखकर अचानक गायब हो जाते है, लेकिन इतने निश्चित और सटीक वक्त में गतिविधि करने वाली वस्तु को आज तक अंतरिक्ष में नहीं देखा गया है। टीम प्रमुख वॉल्कर कहती है, कि 20 मिनट में इतनी अधिक मात्रा में रेडियो ऊर्जा पैदा करना असंभव लगता है। एलियन की मौजूदगी पर नताशा वॉल्कर ने कहा, कि प्रारंभ में ऐसा मानकर उनकी टीम खुद चिंता में पड़ गई थी, लेकिन शोधकर्ता व्यापक आवृत्तियों से आ रहे इन संकेतों का सूक्ष्मता से निरीक्षण कर रहे है।