पृथ्वी से दूर ब्रह्माण्ड के किसी अन्य ग्रह पर मानव बस्ती बसाने जैसे महत्वपूर्ण मिशन के लिए अमेरिका एक बार फिर से चंद्रमा (Moon) पर इंसान को भेजने की तैयारी कर रहा है। इससे पूर्व वर्ष 1972 में अंतिम बार अपोलो अभियान के दौरान इंसान के कदम चन्द्रमा पर पड़े थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बार अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा चन्द्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को महज कुछ घंटों के लिए नहीं भेज रही है, बल्कि इस बार नासा का लक्ष्य आगामी दस वर्षो में चंद्रमा पर एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Nuclear Power Plant) स्थापित करने का है।
गौरतलब है, की चंद्रमा पर अस्थायी रूप से मानव बस्ती निर्माण के दौरान चंद्र ग्रह पर सूरज की किरणें पर्याप्त मात्रा उपलब्ध नहीं होगी, जबकि अंतरिक्ष यात्रियों को विपरीत वातावरण वाले चन्द्रमा पर लम्बे समय तक रहने के लिए स्थाई ऊर्जा स्रोत की जरुरत होगी।
The SLS will get us to the Moon, but what can keep us there?
A fission surface power system will provide safe, efficient, and reliable electrical power on the Moon and Mars. NASA is asking American companies for design concepts.
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— NASA_SLS (@NASA_SLS) November 22, 2021
नासा के वैज्ञानिको द्वारा चन्द्रमा पर ऊर्जा के लिए कई सारे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, विशेषज्ञों के अनुसार, भविष्य में चन्द्रमा पर मानव बस्ती बसाने की योजना के लिए नाभकीय विखंडन (nuclear fission) सबसे व्यवहारिक ऊर्जा विकल्प हो सकता है।
अमेरिकन स्पेस एजेंसी कई दशकों से चंद्रमा पर नाभिकीय विखंडन की क्षमताओं का आंकलकन कर रही है। नासा के वैज्ञानिको के अनुसार, एक कम वजनी, छोटे आकर का तंत्र, जो चंद्रमा की सतह पर लैंडर अथवा रोवर की सहायता से 10 किलोवाट की बिजली की ऊर्जा पैदा कर सके। इसके अलावा संयत्र से चन्द्रमा पर रहने वालो लोगो को औसत घरेलू ऊर्जा की पूर्ती की जा सके।
नासा के अनुसार, इस प्रकार के ऊर्जा संयंत्र भविष्य में नाभकीय तंत्र (nuclear system) विकसित करने में बेहद कारगार होगा, जो भविष्य में मंगल ग्रह पर खोज के अभियानों में तेजी लाएगा।
आशा की जा रही है, कि लगभग एक दशक के अंतराल के बाद इस संयत्र को लाँच कर दिया जायेगा। विशेषज्ञों की राय में, ऊर्जा संयंत्र स्थापित किये जाने के बाद चंद्रमा पर बहुत हद तक कठिन परिस्थितियॉ का सामना करना मुमकिन हो पायेगा, जो फिलहाल अभी असंभव सा प्रतीत होता है।