उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष एस राजू ने पेपर लीक मामले में धांधली को लेकर नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उल्लेखनीय है, कि यूकेएसएससी की भर्ती परीक्षाएं आयोग के गठन से ही विवादों में रही है। इस बीच नियुक्त दो अध्यक्षों ने कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वहीं स्नातक स्तर के 13 विभागों के 916 पदों की भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच में एक विशेष क्षेत्र सबसे अधिक सुर्खिया बटोर रहा है। इस इलाके से एक-दो नहीं बल्कि 80 से ज्यादा अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूकेएसएससी की स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा में धांधली करके पास होने के खेल में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल बताये जा रहे है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरकाशी जिले के ये अभ्यर्थी अपने गांव और कस्बे की सियासत छोड़कर नकल कर अधिकारी बनने चले थे, लेकिन अंतिम समय में पेपर लीक धांधली का घोटाला सामने आ गया और इन लोगों का सपना चकनाचूर हो गया।
एसटीएफ की पेपर लीक घोटाले की जांच में अब तक उत्तरकाशी का एक विशेष क्षेत्र सबसे अधिक संदेह के घेरे में है। मीडिया के अनुसार, इस इलाके से एक-दो नहीं बल्कि 80 से ज्यादा अभ्यर्थी भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण हुए है। इनमें कुछ ग्राम प्रधान है, कई क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्य बताये जा रहे है। जांच में सामने आया है, कि अधिकतर जनप्रतिनिधि नकल करके ही इस भर्ती परीक्षा में पास हुए है। कहा जा रहा है, कि परीक्षा का पेपर इसी इलाके के एक जनप्रतिनिधि ने उन्हें उपलब्ध कराया था।
पेपर लीक धांधली की जांच कर रही एसटीएफ के सूत्रों के अनुसार, जनप्रतिनिधि कई अभ्यर्थियों को लेकर देहरादून आया था। देहरादून में जनप्रतिनिधि ने पेपर लीक करने वालों से पेपर खरीदा और हल कर इन अभ्यर्थियों को बेचा दिया था। हालांकि, एसटीएफ को इनके बारे में पर्याप्त सबूत नहीं मिले है। जाँच के दौरान पकड़े गए आरोपियों ने सिर्फ इनके नाम लिए है। इस मामले में एसटीएफ की एक टीम गढ़वाल में, दूसरी हरिद्वार और तीसरी कुमाऊं क्षेत्र में साबुत जुटाने में लगी हुई है।
बता दें, उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तर की यह भर्ती परीक्षा दिसंबर 2021 में हुई थी। इस भर्ती परीक्षा में पेपर लीक की शिकायते तो बहुत पहले से मिल रही थी, लेकिन मामले में मुख्यमंत्री के दखल के बाद मुकदमा 22 जुलाई को दर्ज किया गया। एसटीएफ की जांच में सामने आया है, कि परीक्षा में धांधली कर उत्तरकाशी के इस क्षेत्र के लगभग 80 अभ्यर्थी पास हुए है। चयनित अभ्यर्थियों की सूची भी फाइनल होने ही वाली थी, लेकिन इससे पहले ही घोटाले की पोल खुल गई। अब माना जा रहा है, कि परीक्षा निरस्त भी हो सकती है।