बाबरी विध्वंस मामले में लखनऊ की विशेष अदालत का फैसला आ गया है। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया और कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी बल्कि अचानक हुई है। कोर्ट ने केस के सभी 32 रामभक्तो को बरी कर दिया है।
सुनवाई के दौरान लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और महंत नृत्य गोपाल दास उम्र अस्वस्थता की वजह से न्यायलय में उपस्थित नहीं हो सके जबकि साध्वी उमा भारती कोरोना संक्रमण के कारण अदालत में उपस्थित नहीं हो सकीं। हालाँकि यह सभी ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये से निर्णय सुनाने के समय उपस्थित थे। इस दौरान मीडिया तक को भी कोर्ट परिसर में जाने की अनुमति नहीं थी। सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी गई है।
करीब चार दशक पुराने इस मामले में देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती जैसे कई बड़े नेता आरोपी हैं। इतने हाई प्रोफाइल मामले को देखते हुए उत्तर प्रदेश में अयोध्या और लखनऊ जैसे शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जानकारी के लिए बता दें कि भगवान रामजन्म भूमि वर्षो से चले आ रहे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में अपना निर्णय सुना चुका है।
गौरतलब है कि दिसंबर 6, 1992 को बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले में फ़ैजाबाद पुलिस स्टेशन में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए थे। शाम के 5:15 बजे SHO प्रियंवदा नाथ शुक्ला ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें डकैती, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, लोगों की सुरक्षा को खतरे में डालना, किसी धर्म के अपमान के उद्देश्य से धार्मिक स्थल को नुकसान पहुँचाना और दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने का मामला दर्ज किया गया।
इसके मात्र 10 मिनट बाद सब-इंस्पेक्टर गंगा कुमार तिवारी ने दूसरी एफआईआर दर्ज की। इसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और दिवंगत अशोक सिंघल समेत कई नेताओं को आरोपी बनाया गया था। जिसके अन्य 47 और भी मुकदमे रामभक्तो पर दर्ज किये गए। इस मामले में कुल 49 अभियुक्त थे लेकिन उनमें से 17 की पहले ही मौत हो चुकी है।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने आवास के बाहर समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं और वकीलों का धन्यवाद करते हुए लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि बहुत दिनों के बाद शुभ समाचार प्राप्त हुआ है बस इतना ही कहूंगा कि जय श्री राम….