रक्षामंत्री राजनाथ सिंह शनिवार (3 दिसंबर 2022) को श्रीमदभगवद् गीता जयंती महोत्सव के अवसर पर बेंगलुरु इस्कॉन (ISCKON) में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में रक्षामंत्री ने कहा, कि गीता मात्र एक ग्रंथ भर नहीं है, बल्कि यह जीवंत ज्ञान गंगा हैं, जो पौराणिक काल से मानव को अपने दिव्य ज्ञानामृत से पोषित कर रही है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “अनादि काल से चले आ रहे मानवीय भावों को उदात्त करने का एक माध्यम है गीता। गीता शाश्वत है, नित्य है, सत्य है। इसलिए गीता का कोई एक दिवस न होकर प्रत्येक दिवस होना चाहिए। रक्षामंत्री ने कहा, “हरि अनंत हरि कथा अनंता’ की भाँति गीता भी मैं समझता हूँ, अनंत है और इसकी व्याख्या अनंत है।
Speaking at Gita Jayanti Mahotsava in Bengaluru.
https://t.co/MlxnemF9oZ— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 3, 2022
उन्होंने कहा, कि अब तक जिन ग्रंथों के सर्वाधिक भाष्य उपलब्ध है, गीता उनमें से एक है। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी से लेकर पंडित नेहरू, महर्षि अरविंदो, लोकमान्य तिलक ने गीता को अपने-अपने नजरिये से देखा है।” उन्होंने कहा, कि विदेशों में समस्याओं के निदान के लिए हेल्पबुक का चलन है, लेकिन यदि गीता का अध्ययन कर लिया जाए, तो संभवतः हेल्प बुक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “गीता हमें ऐसा सूत्र प्रदान करती है, जिसके माध्यम से हम अपनी आत्मा का दर्शन कर सकते है। आज मानव को बाहरी दुनिया की बड़ी चिंता रहती है। वहीं गीता हमें अंतर्मन की ओर देखने का ज्ञान देती है। आत्मा से जोड़ती है, जो परमात्मा का ही एक अंश है। जो शाश्वत है और अनश्वर है। आत्मा को केंद्र में रखने वाला प्राणी सुख-दुख से ऊपर उठकर आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करता है।”
गीता हमें ऐसा सूत्र प्रदान करती है, जिसके सहारे हम अपनी आत्मा का दर्शन कर सकते हैं। आज इंसान को बाहरी दुनिया की बड़ी चिंता रहती है। दिल्ली में क्या हो रहा है, अमेरिका में क्या हो रहा है, लंदन में, फ्रांस में क्या घटित हो रहा है, उसे बड़ी चिंता रहती है: RM
— Rajnathsingh_in (@RajnathSingh_in) December 3, 2022
उन्होंने कहा, कि भारत सदैव ही ज्ञान का केंद्र रहा है और इस ज्ञान के अस्तित्व को ना सिर्फ दुनिया के दूसरे राष्ट्रों ने स्वीकार किया, बल्कि इसे अपनाया भी है। भगवदगीता ने विश्व के कई महान और सुप्रसिद्ध लोगों को ना केवल प्रभावित किया है, बल्कि उनके जीवन को भी सम्पूर्ण रूप से बदल दिया है। गीता सिर्फ धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं, इसमें निहित ज्ञान सबके लिए, विशेष रूप से युवा वर्ग के लिए एक प्रेरणा है।
रक्षामंत्री राजनाथ ने ISKON के कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा, कि गीता दान यज्ञ महोत्सव के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के शाश्वत संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए इस्कॉन का प्रयास सराहनीय है। उन्होंने कहा, कि आगामी 30 दिनों तक चलने वाले इस यज्ञ के दौरान 1 लाख भगवदगीता बाँटने की योजना बनाई गई है। ज्ञान ही तो ऐसा धन है, जो बाँटने से बढ़ता है। इस्कॉन अपने भगीरथ प्रयास में अवश्य ही सफल होगा।
30 दिनों तक चलने वाले इस यज्ञ के दौरान, 1 लाख भगवदगीता बांटने की योजना बनाई गई है। “ज्ञान के दान” से बड़ा क्या हो सकता हैं। ज्ञान ही तो ऐसा धन है जो बांटने से बढ़ता है। इस्कॉन बैंगलोर का यह प्रयास गीता के Immortal Wisdom को लोगों तक पहुंचाएगा, इसका मुझे पूरा विश्वास हैं: RM
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रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “गीता का ज्ञान भारतीय समाज का मुख्य आधार है। भारत सदैव एक शान्तिप्रिय राष्ट्र रहा है। भारत की प्रवृति कभी भी हिंसा, युद्ध नहीं रही है। इसलिए भारत ने कभी किसी दूसरे राष्ट्र पर ना हमला किया, ना ही कभी किसी की एक इंच भूमि पर अवैध कब्जा किया। इसलिए दुनिया को यह समझना होगा कि यदि युद्ध और हिंसा हमारी प्रवृत्ति नहीं तो अन्याय सहना और अधर्म के प्रति तटस्थ रहना भी हमारे चरित्र का हिस्सा नहीं रहा है।”