आर्थिक तंगहाली और भुखमरी से जूझ रहे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने अपने कराची बंदरगाह का एक भाग संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की कंपनी एडी पोर्ट्स ग्रुप को 50 साल की लीज पर दे दिया है। गुरुवार (22 जून, 2023) को एडी पोर्ट्स ग्रुप और कराची पोर्ट ट्रस्ट के बीच 220 मिलियन डॉलर यानी लगभग 63.129 अरब रुपए के एग्रीमेंट पर साइन हुए।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूएई की कंपनी एडी पोर्ट्स ग्रुप ने कराची पोर्ट के बर्थ 6 से लेकर 9 तक को संचालित और विकसित करने के लिए अमेरिकी कंपनी, काहिल टर्मिनल्स के साथ मिलकर इस अनुबंध को पूरा किया है। उल्लेखनीय है, कि कराची बंदरगाह दक्षिण एशिया के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक माना जाता है। इसके अलावा यह पाकिस्तान का सबसे पुराना और सबसे ज्यादा व्यस्त रहने वाला बंदरगाह है। इस बंदरगाह में कुल 33 बर्थ है। बर्थ उस प्लेटफॉर्म को कहा जाता है, जहाँ बंदरगाह में आकर जहाज खड़े होते है।
We have signed a 50-year concession agreement with Karachi Port Trust (KPT) to operate and develop the Karachi Gateway Terminal Limited (KGTL) – to handle berths 6-9 at Karachi Port’s East Wharf through a joint venture between AD Ports Group and Kaheel Terminals. pic.twitter.com/ePO1kmxtiU
— AD Ports Group (@ADPortsGroup) June 22, 2023
रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने यूएई से साथ अगले 50 वर्षो के लिए इस डील पर समझौता किया है। ऐसे में अगले 50 साल तक 33 में से 4 बर्थ (6, 7, 8, 9) यूएई ही संचालित करेगा। इस अनुबंध के तहत यूएई पाकिस्तान में 50 मिलियन डॉलर का अग्रिम निवेश करेगा। इसके बाद पाकिस्तान इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल्स (PICT) और पोर्ट कासिम में निवेश करेगा।
कराची बंदरगाह को लीज लाने वाली कंपनी एडी ग्रुप ने एक आधिकारिक बयान जारी में कहा है, कि वह अगले 10 वर्षों के दौरान बुनियादी ढाँचे और विकास में महत्वपूर्ण निवेश करेगा। इसमें से अधिकत्तर निवेश साल 2026 में होगा। कंपनी ने अपने बयान में यह भी कहा है, कि बुनियादी ढाँचे के विकास योजना के तहत बड़े जहाजों को खड़ा करने के लिए बर्थ को गहरा करना होगा। इसके अलावा बंदरगाह की दीवार को बढ़ाना और कंटेनर भंडारण क्षेत्र को भी बढ़ाया जाएगा।
गौरतलब है, कि पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने कराची पोर्ट की लीज को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है। पीटीआई नेता हम्माद अजहर ने कहा है, कि बंदरगाह को सिर्फ 50 मिलियन डॉलर में लीज पर दिया गया है। इससे बंदरगाह से होने वाला लाभ मुल्क से बाहर चला जाएगा। हालांकि, पाकिस्तान के समुद्री मामलों के मंत्री फैसल सुब्ज़वारी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा, कि बंदरगाह को लीज देने का मतलब बेचना नहीं है।
बता दें, कि पाकिस्तान वर्तमान दौर में नकदी की किल्लत से जूझ रहा है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी एक बार फिर न्यूनतम स्तर की ओर अग्रसर है। ऐसे में खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए पाकिस्तान अपनी चल-अंचल संपत्तियों को लीज पर देकर किसी तरह जुगाड़ बिठाने की कोशिश में जुटा हुआ है। गौरतलब है कि कराची बंदरगाह से पाकिस्तान को हर साल लगभग 55 मिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त और 30 मिलियन डॉलर का एबिटा (शुद्ध लाभ, ब्याज व कर इत्यादि मिलाकर प्राप्त राशि) मिलता है।