भुखमरी और तंगहाली की कगार पर खड़े पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत के सामने कहीं नहीं ठहरती है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्तमान में भारत के दसवें हिस्से के बराबर भी नहीं है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत इतनी बदतर स्थिति में पहुंच चुकी है, कि उससे अधिक मार्केट कैप भारतीय कारोबारी टाटा समूह की है।
देश का दिग्गज कारोबारी टाटा समूह का कुल बाजार पूँजीकरण (Market Capitalization) अब 360 बिलियन डॉलर (लगभग ₹30 लाख करोड़) हो चुका है। टाटा समूह की सबसे बड़ी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) जिसका अकेले का बाजार पूँजीकरण 170 बिलियन डॉलर (लगभग ₹14 लाख करोड़) है। टाटा समूह की 29 कम्पनियाँ शेयर बाजार में अधिसूचित हैं।
वहीं अगर पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति पर नजर डाले, तो इस मुल्क की पूरी अर्थव्यवस्था का आकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, 340 बिलियन डॉलर (₹28 लाख करोड़) है। अर्थात पाकिस्तान की कुल अर्थव्यवस्था और टाटा समूह के बाजार पूँजीकरण में ₹2 लाख करोड़ का बड़ा भारी अंतर है।
🚨 Tata Group market capitalization is at $365 billion, which is bigger than entire Pakistan economy. pic.twitter.com/R0zix6CV6C
— Indian Tech & Infra (@IndianTechGuide) February 19, 2024
गौरतलब है, कि पाकिस्तान वर्तमान में अपने इतिहास के सबसे बदत्तर आर्थिक संकटो का सामना कर रहा है। पाकिस्तान लगभग 125 अरब डॉलर के बाहरी कर्ज और देनदारियों से जूझ रहा है। पाकिस्तान एक मुल्क तौर पर IMF के उधार पर चल रहा है। इसके अलावा उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार की भी भारी कमी है। एक ओर जहाँ भारत के पास 617 बिलियन डॉलर (लगभग ₹51 लाख करोड़) के विदेशी मुद्रा का भंडार है, वहीं पाकिस्तान में यह आँकड़ा 9-10 बिलियन डॉलर है।
वहीं भारत की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के मुकाबले पाकिस्तान कहीं भी नहीं ठहरता है। पाकिस्तान की जनसंख्या भारत के मुकाबले भले पाँच गुना कम है, लेकिन यदि अर्थव्यवस्था की तुलना की जाए, तो वह भारत के मुकाबले 10 गुने से भी कम है। IMF के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 4.11 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹34118137 करोड़) है। यह विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसकी तुलना में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मात्र 340 बिलियन डॉलर है।
उल्लेखनीय है, कि पाकिस्तान की अवाम भी अपने मुल्क की आर्थिक हालत से बेहद परेशान है। पाकिस्तान में महँगाई इस समय 30 फीसदी की दर से उच्चतम स्तर पर बनी हुई है, जिससे आम आदमी कमर टूट गई है। पाकिस्तानी हुकूमत बिजली और तेल के दाम भी लगातार बढ़ा रही है, जिससे और भी परेशानियाँ खड़ी हो रही है।
बता दें, कि पाकिस्तान की सरकारें आर्थिक सुधार ना करके पहले अमेरिका और फिर चीन से मदद लेकर अपना काम चलाती रही हैं। हालाँकि, अब इन देशों से भी मदद मिलनी लगभग बंद हो गई है। वहीं अरब देश भी अब पाकिस्तान की आर्थिक सहायता पहले की तरह नहीं कर रहे हैं। पाकिस्तान फिलहाल राजनीतिक अस्थिरता, ऋण संकट और मुद्रास्फीति से जूझ रहा है।