कश्मीरी हिंदुओ के पलायन और नरसंहार पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ सिनेमाघरों में रिलीज होने के बाद से ही लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। सत्य घटनाओं पर केंद्रित इस फिल्म को देखने के लिए सिनेमाघरों में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी है। वहीं बॉक्स ऑफिस पर भी छोटे बजट में बनी इस फिल्म ने अब तक 200 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है। फिल्म ने सियासी पार्टियों के बीच भी हलचल बढ़ा दी है। घाटी से निर्दोष कश्मीरी पंडितों के पलायन पर फारूक अब्दुल्ला ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, कि अगर वह इसके लिए जिम्मेदार पाए जाते है, तो वह सूली पर चढ़ने के लिए तैयार है।
कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के इस बयान पर अब निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की पत्नी और फिल्म में अहम किरदार निभाने वाली अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘देखिए, राजनीती मेरा डोमेन नहीं है, और मैं नहीं जानती हूँ, कि किस तरह पॉलिटीशियन्स को जवाब देते है, लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगी, कि जो हमने किया है, वह चार साल के विस्तृत काम के आधार पर किया है। उन्होंने कहा, कि फिल्म में वही दर्शाया गया है, जो रिसर्च के दौरान हमें मिला है।
फारूक अब्दुल्ला के फांसी पर चढ़ाने वाले बयान पर पल्लवी जोशी का जवाब, बोलीं- हमारे पास घटना के वीडियो है https://t.co/Q6XYUJ55zx
— Danish Jibril (@danishjibril) March 25, 2022
पल्लवी जोशी ने कहा, कि मेरे पास अभी भी उन सभी कश्मीरी पंडितों और उन सरकारी कर्मचारियों के बयान है, जिन्होंने उस वक्त इस त्रासदी को जीवंत देखा था। फिल्म में जितनी भी घटनाएं दिखाई गई है, हमारे पास उन सभी के वीडियो साक्ष्य है। मुझे नहीं लगता, कि लगभग सात सौ लोग एकजुट होकर असत्य बोलेंगे। उन्होंने कहा, कि कश्मीरी पंडितों को लेकर यह तक कहा जा रहा है, कि उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन के साथ साठगांठ कर घाटी से पलायन किया। पल्लवी जोशी ने सवाल किया, कि आखिर क्या वजह थी, कि लोगों को एक ही दिन में अपने बसे-बसाये घरो को ऐसे ही छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा?
पल्लवी जोशी ने फारूक अब्दुला पर पलटवार करते हुए कहा, कि कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या से दो दिन पूर्व उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। जिसके बाद घाटी में दो दिनों तक कोई भी प्रशासन कश्मीरी हिंदुओ की सुध लेने नहीं आया। उन्होंने कहा, कि फारूक अब्दुल्ला तो इन मुश्किल हालातो में लंदन चले गए थे। उस वक्त जगमोहन को राज्यपाल का दायित्व सौंपा गया था, लेकिन खराब मौसम के कारण उन्हें तीन दिनों तक जम्मू में ही रुकना पड़ा था।