आधुनिक शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए डॉक्टरों ने सुअर की किडनी को मानव शरीर में प्रत्यारोपित किया, और फिलहाल यह प्रयोग सफलतापूर्वक कार्य भी कर रहा है। दरअसल, किडनी ट्रांसप्लांट का कामयाब ऑपरेशन से 57 वर्षीय एक ब्रेन डेड शख्स के शरीर में किया गया। इस सफल प्रत्यारोपण को मानव में पशुओं के अंगों के संभावित प्रत्यारोपण की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रगति के तौर पर देखा जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चिकित्सा जगत में इस उपलब्धि को किडनी के रोग से ग्रसित मरीजों के लिए उम्मीद की नई किरण की तरह देखा जा रहा है। एनवाईयू लैंगोन हेल्थ (NYU Langone Health ) के सर्जनों ने बुधवार (16 अगस्त 2023) को जानकारी देते हुए बताया, कि आनुवंशिक रूप से परिवर्तित सुअर की किडनी ब्रेन डेड व्यक्ति में प्रत्यारोपित की गई थी, जो 32 दिनों तक लगातार कार्य करती रही।
वाशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक, चिकित्सकों ने जानकारी दी, कि सुअर की किडनी प्रत्यारोपित करने के कुछ मिनट बाद ही मानव शरीर ने उसे स्वीकार कर लिया। दरअसल समान्यतौर पर जेनोट्रांसप्लांटेशन (पशुओं से मानव में अंगों का प्रत्यारोपण) में कई जटिल दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि इस अहम ऑपरेशन में इस प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा है। सर्जनों के अनुसार, सुअर की किडनी ने मूत्र का उत्पादन शुरू कर दिया और विषाक्त पदार्थों को छानने जैसे मानव गुर्दे के कार्यों को अपने हाथ में ले लिया।
वहीं बुधवार को ही बर्मिंघम हीरसिंक स्कूल ऑफ मेडिसिन में अलबामा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ब्रेन डेड रोगी के समान मामले का अध्ययन प्रकाशित किया, जिसे इस साल की शुरुआत में दो सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट किए गए थे। इन सुअरों में भी 10 जेनेटिक परिवर्तन किए गए थे। इस मामले में भी मानव शरीर ने सुअर की किडनी को अस्वीकार नहीं किया और 7 दिनों तक किडनी सामान्य तरीके से काम करती रही। इस ट्रांसप्लांटेशन के परिणामों को JAMA सर्जरी पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।
हालाँकि, यह ट्रांसप्लांटेशन अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन महीने भर से अधिक समय तक किडनी का सामान्य तरीके से काम करना एक उम्मीद जगाती है। वहीं, चिकित्सा विज्ञानी भी इस नई उपलब्धि से बेहद उत्साहित हैं, क्योंकि किडनी के लिए इंतजार करते मरीजों की संख्या पूरी दुनिया में बहुत अधिक है। इसके मद्देनजर दुनिया भर में यह प्रयोग किए जा रहे है, कि मानव जीवन को बचाने के लिए जानवरों के अंगों का इस्तेमाल किस प्रकार किया जाए। ऐसे में अनुसंधान के लिए दान किए गए मानव शरीरों पर सफलतापूर्वक प्रयोग एक नई उम्मीद की किरण जगाते है।