दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स (BRICS) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रीस के एथेंस पहुंच चुके है। उल्लेखनीय है, कि पीएम मोदी पिछले 40 वर्षो में ग्रीस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री है। ग्रीस दौरे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मुझे 40 साल बाद ग्रीस की यात्रा करने वाला पहला भारतीय प्रधानमंत्री होने का सम्मान मिला है। बता दें, आखिरी बार साल 1983 में इंदिरा गाँधी ने बतौर प्रधानमंत्री ग्रीस की यात्रा की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रीस के पीएम मित्सोताकिस के साथ द्विपक्षीय बैठक में भाग लेने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, कि भारत दुनिया की 2 पुरातन सभ्यताओं, 2 पुरातन लोकतांत्रिक विचारधाराओं और 2 पुरातन व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के बीच एक स्वाभाविक मेल है। हमारे रिश्ते की बुनियाद प्राचीन और मजबूत है।
ग्रीस में प्रधानमंत्री मोदी के पहुंचने के बाद प्रवासी भारतीय समुदाय में उत्साह का माहौल है। चंद्रयान 3 के सफलतापूवर्क लैंडिंग के बाद ग्रीस में रहने वाले भारतीय समुदाय बेहद उत्साहित है। पिछले कुछ वर्षो में समुद्री परिवहन, रक्षा, व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग के माध्यम से भारत और ग्रीस के संबंध मजबूत हुए है।
Amidst the historic landscapes of Greece, the warmth and hospitality of the Indian community shines brightly. A heartfelt thank you to them for the warm welcome. pic.twitter.com/kJO7O5bCLu
— Narendra Modi (@narendramodi) August 25, 2023
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रीस में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से संवाद करेंगे। इसके साथ ही पीएम मोदी ग्रीस के प्रधानमंत्री और उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता करेंगे। इसके बाद व्यापारिक समूह के साथ भी वे वार्ता करेंगे। भारतीय प्रधानमंत्री की इस महत्वपूर्ण ग्रीस यात्रा की पृष्ठभूमि विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा 2021 में हुई ग्रीस की यात्रा के बाद तैयार हुई है।
उल्लेखनीय है, कि भारत यूरोपीय देश ग्रीस के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करना चाहता है। वहीं, ग्रीस चाहता है कि भारत उसके एयरपोर्ट्स और बंदरगाह का विस्तार करे। भारत भी उन्हें टर्मिनल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है। भारत की कोशिश है कि वो ग्रीस से चीनी प्रभाव को कम करे और अपने सामान की सप्लाई पूरे यूरोप में बढ़ाने के लिए ग्रीस यानि यूनान को बतौर प्रवेश द्वार इस्तेमाल करें।
दरअसल भारत अब ईरान के चाबहार पोर्ट की उपयोगिता को लेकर अधिक गंभीर नहीं रह गया है। भारत का प्रयास था, कि वह चाबहार से आगे आर्मीनिया होकर भारत यूरोप के बाजार तक पहुँच बनाए, लेकिन आर्मीनिया और अजरबैजान में नागोर्नो-कराबाख को लेकर चल रहे खूनी संघर्ष की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है।