प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (17 दिसंबर 2023) को भगवान विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर दिल्ली के नवनिर्मित यशोभूमि कन्वेेंशन सेंटर में ‘विश्वकर्मा योजना’ का आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया। इस योजना के अंतर्गत 13,000 करोड़ रुपए का कोष बनाया गया है, जो पारंपरिक कारोबार से जुड़े कारीगरों को सीधा लाभ पहुँचाएगा। बता दें, आज भगवान विश्वकर्मा पूजा के साथ-साथ पीएम मोदी का 73वाँ जन्मदिन भी है।
प्रधानमंत्री श्री @narendramodi द्वारा परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों के उज्ज्वल भविष्य हेतु ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ के सफलतम शुभारंभ का अविस्मरणीय दृश्य। pic.twitter.com/U0zJXWrvBC
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना के तहत 18 पारंपरिक व्यवसायों को सूची में शामिल किया है, इससे 30 लाख परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत शिल्पकारों व कारीगरों को एक लाख रुपए तक का लोन पांच फीसदी ब्याज पर उपलब्ध कराया जायेगा। वहीं अगले चरण में यह धनराशि दोगुनी कर 2 लाख रुपए कर दी जाएगी। इसके साथ ही इन्हें कौशल परिक्षण भी दिया जायेगा।
भगवान विश्वकर्मा पूजा और अपने जन्म दिवस पर योजना के शुभारंभ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, “हमारे यहाँ कहा गया है- जो समस्त संसार की रचना और उससे जुड़े निर्माण कार्य करता है, उसे विश्वकर्मा कहते है। हजारों साल से जो साथी बनाने के मूल रहे हैं, वे विश्वकर्मा हैं। जैसे हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है, वैसे ही सामाजिक जीवन में इन विश्वकर्मा साथियों की भूमिका होती है। समाज के विकास में विश्वकर्मा साथियों का बड़ा योगदान है।”
हजारों वर्षों से जो साथी भारत की समृद्धि के मूल में रहे हैं, वो हमारे विश्वकर्मा ही हैं।
जैसे हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है, वैसे ही सामाजिक जीवन में इन विश्वकर्मा साथियों की भूमिका होती है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारी जिंदगी में लोहार, दर्जी, जूते वालों की अहमियत कभी समाप्त नहीं हो सकती है। हम आज भी मटके और सुराही का जल पीना पसंद करते है। शायद ही कोई गाँव होगा, जहाँ 18 प्रकार के काम करने वाले लोग नहीं होंगे। इस योजना में इस सभी लोगों को शामिल किया गया है। सरकार योजना के लिए 13,000 करोड़ खर्च करने वाली है।”
अपने विदेशी दौरे के अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं 30-35 साल पहले ब्रसेल्स गया था। मुझे एक मित्र ज्वेलरी मार्केट लेकर गए। उन्होंने बताया, कि यहाँ मशीन से बनी ज्वेलरी की माँग कम और हाथ से बनी ज्वेलरी की माँग ज्यादा होती है। दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ आपके दरवाजे पर खड़ी हों, हम ये सामर्थ्य पैदा करना चाहते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा, “विश्वकर्मा साथियों के लिए ट्रेनिंग-टूल्स बहुत जरूरी है। ट्रेनिंग के दौरान भी उन्हें रोज 500 रुपए का भत्ता सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा। टूलकिट के लिए 15,000 का वाउचर भी मिलेगा। मार्केटिंग में भी सरकार द्वारा सहायता की जाएगी।” इसके साथ ही पीएम ने उनसे आग्रह किया, कि वे सामान GST वाली दुकानों से खरीदें और इंडिया मेड खरीदें।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “इस विश्वकर्मा दिवस पर हमें लोकल के लिए वोकल होने का प्रण फिर दोहराना है। अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित अनेक त्योहार आने वाले हैं। मैं सभी देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करूँगा।”
इस विश्वकर्मा दिवस पर हमें लोकल के लिए वोकल होने का प्रण फिर दोहराना है। अब गणेश चतुर्थी, धनतेरस, दीपावली सहित अनेक त्योहार आने वाले हैं। मैं सभी देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करूंगा।
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विश्वकर्मा योजना के तहत जिन 18 व्यवसायों को शामिल किया गया है, उनके नाम क्रमशः बढ़ई, नाव बनाने वाले, अस्त्र बनाने वाले, लोहार, ताला बनाने वाले, हथौड़ा और घरेलू एवं छोटेे कृषि उपकरण बनाने वाले, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार एवं पत्थर तराशने वाले, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी-चटाई एवं झाड़ू जैसे छोटे सामान बनाने वाले, पारंपरिक गुड़िया और खिलौने बनाने वाले, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी और मछली का जाल बनाने वाले है।
विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ कार्यक्रम के अवसर पर देश के चुनिंदा 70 स्थानों पर 70 मंत्री उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद, राजनाथ सिंह लखनऊ, अनुराग ठाकुर शिमला, गजेंद्र सिंह शेखावत चेन्नई, महेंद्र नाथ पांडे वाराणसी, स्मृति ईरानी झाँसी में रहे, जबकि भूपेंद्र यादव जयपुर, नरेंद्र सिंह तोमर भोपाल, एस जयशंकर तिरुवनंतपुरम, नितिन गडकरी नागपुर और अश्विनी वैष्णव भुवनेश्वर में उपस्थित रहे।
गौरतलब है, कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से विश्वकर्मा योजना का ऐलान किया था। केंद्र सरकार ने छोटे शिल्पकारों व कामगार श्रमिकों की आर्थिक सहायता के लिए इस योजना को लॉन्च करने की बात कही थी। इस योजना को तीन मंत्रालयों एमएसएमई, कौशल विकास और वित्त मंत्रालय संयुक्त रूप से लागू करेंगे।