संचार क्रांति के युग में फेसबुक,ट्विटर और इंस्टाग्राम को संचालित करने वाली विदेशी कंपनियां भारत देश में किस प्रकार मनमाने तरीके का व्यवहार कर रही है। इसका ज्वलंत उदाहरण है, कि इन इंटरनेट डिजिटल प्लेटफॉर्म मीडिया ने भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करने से साफ़ मना कर दिया है। भारतीय इतिहास इस बात का साक्षी है, कि किस प्रकार अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार तो हिन्दुस्तान में करती थी, परन्तु उसके नियम कायदे ब्रिटेन में तय होते थे।
भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नए नियमो के अनुसार सोशल मीडिया कंपनियों को उनके डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मौजूद आपत्तिजनक पोस्ट हटाने के सम्बन्ध में शिकायत निवारण व्यवस्था को बनाने एवं जिम्मेदार अधिकारियों के नियुक्ति के बारे में सूचना देने को कहा गया था। स्थिति की गंभीरता यह है, इन सोशल मीडिया कंपनियों ने केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों को पूरी तरह से दरकिनार रख नियमो के पालन को हवा में उड़ा दिया।
फेसबुक ,ट्विटर सरीखी कंपनियों को नियमनुसार कायदे से बीते मंगलवार तक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा तय दिशा निर्देशों का पालन कर लेने की व्यवस्था बना लेनी चाहिए थी। परन्तु इन विदेशी कंपनियों का गुरुर इस स्तर तक पहुंच गया है, कि उन्होंने यह बताने की जरुरत भी नहीं समझी, कि वह ऐसा बर्ताव आखिरकार क्यों कर रही है। क्यों ये कंपनियां भारतीय कानूनों के पालन करने में असवेंदनशील व्यवहार कर रही है। जबकि यही कंपनियां यूरोपीय राष्ट्रों के सभी नियमो का कायदे से पालन करती है और सदैव उन देशो के समक्ष दंडवत अवस्था में रहती है।
ये सोशल मीडिया कंपनियां किस स्तर तक अपनी मनमानी पर उतर आयी है। इसका हालिया उदाहरण है,कि टूलकिट विवाद पर भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को ट्विटर ने इस रूप में चिन्हित किया, कि उस ट्वीट में जानकारी को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। फिलहाल इस मामले की जांच पड़ताल दिल्ली पुलिस कर रही है। परन्तु सवाल यह उठता है, कि ट्विटर को कैसे पता चला की भाजपा नेता संबित पात्रा द्वारा ट्वीट को तोड़ा मरोड़ा गया है। क्या ट्विटर सभी ट्वीट के तथ्यों की जाँच पड़ताल करती है। वर्तमान में परिस्थिति यह है, कि ये विदेशी कंपनियां भारत में निरंकुश होकर स्वयं कोतवाल और न्यायधीश की भूमिका में है।
फिलहाल सरकारी नियमो के पालन के लिए कुछ कंपनियों द्वारा समय की मोहलत मांगी जा रही है और कुछ ने इस मामले में मौन साध रखा है। जानकारी के अनुसार भारत सरकार इन विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम कसने की तैयारी में है। विदेशी कंपनियों के लिए यह एक सन्देश है, कि अगर उन्हें भारत में काम करना है तो उनको भारतीय कानूनों का पालन करना ही होगा।