केंद्र सरकार ने भगोड़े जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को एक गैरकानूनी संगठन घोषित करने के अपने निर्णय के बचाव के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के नेतृत्व में सात सदस्यीय अधिवक्ताओं के एक दल का गठन किया गया है।
मलेशिया में शरण लिए बैठा नाइक गैर-मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाने से बाज नहीं आ रहा है। इसलिए 2016 से देश से फरार चल रहे जाकिर नाईक के संगठन के विरुद्ध न्यायिक लड़ाई की तैयारी को केंद्र सरकार और धार देने में जुट गई है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 की धारा 3 (1) के प्रावधानों के अंतर्गत आईआरएफ को गैरकानूनी घोषित किया था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सहित इस दल में वरिष्ठ वकील सचिन दत्ता, रजत नायर, जय प्रकाश, अमित महाजन, ध्रुव पांडे और कानू अग्रवाल शामिल हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा है, कि आईआरएफ ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल है, जो देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए हानिकारक है। गृह मंत्रालय के अनुसार, जाकिर नाइक कट्टरपंथी जो बयान और भाषण देता है, उसे दुनिया भर में करोड़ों लोग देखते है।
जाकिर नाइक पीस टीवी और पीस टीवी उर्दू नाम से दो टेलीविजन स्टेशन का संचालन करता है। ये दोनों टीवी चैनल भारत, श्रीलंका, कनाडा ब्रिटेन ओर बांग्लादेश में प्रतिबंधित है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) नाइक के खिलाफ जांच शुरू करने वाली थी, उससे ठीक पहले 2016 में जाकिर देश से मलेशिया भाग गया था।
पूर्व में भी गृह मंत्रालय ने भगोड़े इस्लामी धर्म गुरु जाकिर नाइक के संगठन आईआरएफ पर प्रतिबंध लगाने के लिए यूएपीए के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया था। इसके अलावा सरकार नाइक के प्रत्यर्पण का औपचारिक अनुरोध मलेशिया सरकार से कर चुकी है।
उल्लेखनीय है, कि इससे पूर्व प्रवर्तन निदेशालय ने जाकिर नाईक के खिलाफ चार्जशीट दायर कर 22 दिसंबर 2016 को जाकिर नाईक और अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इसके साथ ही ईडी ने जाकिर की 50.24 करोड़ की संपत्ति अटैच भी की थी। इसके अलावा ईडी ने अपराध के जरिये एकत्रित आय के रूप में 193.06 रुपये की पहचान की थी।