भारत के खिलाफ बयानबाजी करने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सुर अचानक बदल गए है। मुइज्जू ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा, कि मुल्क में विकास कार्यों के लिए निकटतम सहयोगी भारत से उन्हें काफी उम्मीदें हैं। बता दें, कि पिछले साल के अंत तक मालदीव पर भारत का लगभग 400.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 35 अरब रुपये) बकाया था। इसी कर्ज इसे चुकाने के लिए मुइज्जू ने भारत से वक्त माँगा है।
गौरतलब है, कि पिछले साल नवंबर 2023 में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से चीन समर्थक मुइज्जू ने भारत के खिलाफ नफरती रुख अपनाया था। उन्होंने कुछ ही घंटों के भीतर मांग की थी, कि मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों को 10 मई तक भारत वापस भेज दिया जाए। हालांकि मालदीव के राष्ट्रपति पद को संभालने के कुछ समय बाद ही मुइज्जू को अपने मुल्क की हैसियत का अंदाजा लग गया।
मालदीव को अपने कर्ज के जाल में फंसाने के लिए चीन ने आर्थिक सहायता तो दी, लेकिन अब मालदीव घुटने पर आ गया है। मालदीव के राष्ट्रपति ने स्थानीय मीडिया से बातचीत के दौरान कहा है, कि भारत मालदीव को सहायता प्रदान करने में अग्रणी देश रहा है। इसके साथ ही मालदीव पर भारतीय कर्जे को चुकाने के लिए भी उसने मोहलत माँगी है।
मोहम्मद मुइज्जू ने कहा है, कि मालदीव पर जो कर्ज है, वो बेहद ज्यादा है। हम भारत से कर्जों को चुकाने के लिए राहत देने की माँग करने वाले हैं। भारत जिन विकास परियोजनाओं पर काम कर रहा है, वो रुकनी नहीं चाहिए, वर्ना देश की मुश्किलें बढ़ जाएँगी। मुइज्जू ने कहा, “हमें जो परिस्थितियाँ विरासत में मिली हैं, उसमें लोन की रकम काफी ज्यादा है। यह मालदीव की कुल अर्थव्यवस्था से भी अधिक है। भारत द्वारा दिए कर्ज को चुकाने के लिए हमें और अधिक समय लगेगा।”
उल्लेखनीय है, कि मोहम्मद मुइज्जू को चीन का समर्थक माना जाता है। चुनाव अभियान के दौरान मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। इसके साथ ही मुइज्जू की चीन यात्रा के समय मालदीव के मंत्रियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की थी, जिसके बाद भारतीय नागरिकों ने मालदीव का बहिष्कार कर दिया था। इस अभियान की वजह से मालदीव की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लगा, जिसकी वजह से भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की बुकिंग्स तक कैंसिल करा दी थी।