संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की राजधानी अबू धाबी में पहले भव्य हिंदू मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। 14 फरवरी को अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्धाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके लिए बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था का आमंत्रण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार कर लिया है। अबू धाबी का मंदिर 20 हजार वर्गमीटर जमीन पर फैला हुआ है। मंदिर का निर्माण प्राचीन हिंदू वास्तुशिल्प के अनुसार किया गया है।
बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था ने एक बयान जारी कर सोशल मीडिया पर जानकारी दी है, कि 27 दिसंबर को स्वामी ईश्वरचरणदास और स्वामी ब्रह्मविहरिदास द्वारा निदेशक मंडल के साथ पीएम मोदी से उनके दिल्ली के 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित आधिकारिक आवास पर भेंट की। इस अवसर पर पीएम मोदी को अबू धाबी में बने इस मंदिर के निर्माण के संबंध को लेकर जानकारी दी। साथ ही उद्घाटन करने का आमंत्रण पत्र सौंपा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था के प्रतिनिधियों की यह बैठक करीब एक घंटे तक चली। इस दौरान वैश्विक सद्भाव के लिए अबू धाबी मंदिर के महत्व और वैश्विक मंच पर भारत के आध्यात्मिक नेतृत्व के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण पर चर्चा हुई।
PM Modi accepts invitation to inaugurate the BAPS Hindu Mandir in Abu Dhabi, Delhi, India https://t.co/4OjdYUOm4u pic.twitter.com/ZluAL4xWDK
— BAPS (@BAPS) December 28, 2023
इस दौरान पीएम मोदी ने अबू धाबी में बीएपीएस हिंदू मंदिर परियोजना में शामिल सदस्यों, स्वयंसेवकों और समर्थकों के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा, “अबूधाबी का मंदिर वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श को प्रतिबिंबित करेगा। यह एक आदर्श आध्यात्मिक स्थान होगा जो न केवल मान्यताओं और परंपराओं में निहित है, बल्कि विविध संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम है। ये आध्यात्मिक सद्भाव का सार और आगे बढ़ने के मार्ग का प्रतीक है।”
उल्लेखनीय है, कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 फरवरी 2018 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी। पीएम मोदी ने अबू धाबी में बनने वाले भव्य हिंदू मंदिर के लिए 125 करोड़ भारतीयों की ओर से क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को धन्यवाद दिया था। उन्होंने इसे भारत की पहचान का जरिया बताया था।
बीएपीएस हिंदू मंदिर वास्तुशिल्प कौशल का एक प्रत्यक्ष प्रमाण है। मंदिर के निर्माण में प्राचीन वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से प्रेरित गुलाबी बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है। मंदिर में की जाने वाली कई सूक्ष्म नक्काशी व मूर्तियां भारत में कुशल कारीगरों द्वारा तैयार की गईं और निर्माण स्थल पर पहुंचाई गईं हैं। 20 हजार वर्गमीटर में फैले मंदिर की आयु लगभग हजार साल बताई जा रही है।