चुनाव प्रचार के दौरान सियासी पार्टियों द्वारा मुफ्त सुविधाएं देने के दावों के सम्बन्ध में सर्वोच्च अदालत ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, कि मुफ्तखोरी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि ये गंभीर मसला है, राजनीतिक दल चुनाव प्रचार के दौरान अक्सर मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँटते है, या फिर ऐसे वादे करते है। वहीं केंद्र सरकार ने भी चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का दावा करने वाले राजनीतिक दलों पर लगाम लगाने की मांग का समर्थन किया है।
उल्लेखनीय है, चुनाव प्रचार के दौरान मुफ्त सुविधाओं का वादा करने वाले सियासी दलों की मान्यता रद्द किये जाने के सम्बन्ध में दायर याचिका पर बुधवार (3 जुलाई 2022) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, कि प्रत्येक राजनीतिक दल ऐसी लोकलुभावन घोषणाओं का लाभ उठाता है। किसी एक राजनीतिक दल की बात नहीं है, क्या संसद में इस अहम मुद्दे पर चर्चा होगी?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, कि मुफ्त की रेवड़ियों के फायदे-नुकसान का शोध करने के लिए एक कमेटी के गठन की जरुरत है, क्योंकि अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार, चुनाव आयोग और वरिष्ठ अधिवक्ता व राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल समेत अन्य याचिकाकर्ताओं से एक विशेषज्ञ कमेटी के गठन को लेकर सुझाव आमंत्रित किये है। इस मामले में अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।
CJI: These are all policy matters. let everyone participate in the debate. We'll say FC, political parties, opp party, all of them can be members of this group. Let them have a debate and let them interact. let them give their suggestions and submit their report.
— Live Law (@LiveLawIndia) August 3, 2022
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने शीर्ष न्यायालय से चुनाव से पहले सार्वजनिक फंड से मुफ्त की रेवड़ियाँ बाँटने अथवा इसका वादा करने वाली सियासी पार्टियों का पंजीकरण रद्द और उनका चुनाव चिह्न वापस लिए जाने संबंधी आदेश देने की अपील की। वरिष्ठ अधिवक्ता उपाध्याय ने याचिका में उदाहरण देते है कहा, कि कैसे AAP ने महिलाओं को 1000 रुपए के मासिक भत्ते का लालच दिया था, वहीं अकाली दल ने 2000 रुपए देने का वादा किया था और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में छात्राओं को स्कूटी देने का लालच दिया था।