मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश में जुटे वैज्ञानिको ने लाल ग्रह पर जीवन की संभावना जताई है। खोजकर्ताओ का दावा है कि मंगल ग्रह की सतह की गहराईओं में किसी वक्त जीवन के अंश रहे होंगे।
वैज्ञानिको का अनुमान है कि तक़रीबन चार अरब वर्ष पूर्व मंगल ग्रह के सतह के काफी नीचे भू- गर्भीय तापीय हलचल थी। जो ग्रह पर मौजूद बर्फ को पिघलाने में सक्षम थी। न्यूजर्सी रटगर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओ द्वारा आधुनिक कम्प्यूटर ग्राफिक डिजायनिंग तकनीक से मंगल ग्रह के प्रारंभिक वातावरण पर रिसर्च की गयी।
शोधकर्ताओ का मानना है कि मंगल ग्रह के भीतर मौजूद भू तापीय ऊष्मा से बर्फ पिघलने से वहाँ के वातावरण में सिंगल कोशिका वाले जीवो के पनपने की आशंका है। दरअसल बर्फ की परत पिघलने से ग्रह की उपसतह के नीच जलाशय बनते होंगे जिस कारण अति सूक्षम एकल कोशिका वाले जीवो के पनपने की संभावना है।
ब्रह्माण्ड में अन्य ग्रहो पर जीवन की खोज करने वालो के लिए यह शोध उम्मीद की एक नयी किरण दिखता है। स्वाभाव से जिज्ञाशु प्रवर्ति के चलते मानव निरन्तर दूसरे ग्रह में जीवन की संभावना तलाश रहा है। अंतरिक्ष विज्ञानं पर भारत राष्ट्र भी आगे बढ़ते हुए शीघ्र ही चन्द्रमा पर मानव मिशन की तैयारी में जोर शोर से लगा हुआ है।